धनतेरस पर ध्यान दें

*धनतेरस पर मां लक्ष्मी और कुबेरजी के साथ ही भगवान धनवंतरि की पूजा की जाती है।*

*भगवान धनवंतरि ब्रह्मांड की सबसे प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के देव हैं।*

भगवान धनवंतरि को श्रीहरि विष्णु का अवतार माना जाता है। इनकी पूजा से अच्छी सेहत और आरोग्य की प्राप्ति होती है।

*धनतेरस आज, 5 नवंबर को है।*

धनवंतरि जी की पूजा के लिए  मंत्र, पूजा विधि और आरती इस प्रकार है…

*खरीदारी का शुभ मुहूर्त*

सुबह 07:07 से 09:15 बजे तक।
दोपहर 01:00 से 02:30 बजे तक।
शाम 05:35 से 07:30 बजे तक।

*पूजा का शुभ मुहूर्त*

शाम 6:05 से 8:01 बजे तक है।

प्रदोष काल: शाम 5:29 से रात 8:07 बजे तक।

वृषभ काल: शाम 6:05 बजे से रात 8:01 बजे तक।

त्रयोदशी तिथि आरंभ: 5 नवंबर को सुबह 01:24 बजे।

त्रयोदशी तिथि खत्म: 5 नवंबर को रात्रि 11.46 बजे।

*पूजा विधि*

धनतेरस पर भगवान धनवंतरि की पूजा करने के लिए उनकी तस्वीर स्थापित करें।

फिर आचमनी से जल लेकर तीन बार आचमन करें। तस्वीर पर जल छिड़ककर रोली और अक्षत से टीका करें और वस्त्र या कलावा अर्पित करें।

अब सबसे पहले गणपति का मंत्र बोले और उनका ध्यान कर उन्हें प्रणाम करें। क्योंकि गणपति प्रथम पूजनीय हैं और किसी भी पूजा को सफल बनाने के लिए सबसे पहले उनकी पूजा की जाती है।

अब हाथ में फूल और अक्षत लेकर भगवान धनवंतरि का ध्यान करें और प्रणाम करते हुए ये दोनों उन्हें अर्पित कर दें। इसके साथ ही – ‘ओम श्री धनवंतरै नम:’ मंत्र का जप करें।

इसके बाद इस मंत्र द्वारा भगवान धनवंतरि को प्रणाम कर उनकी महिमा का गुणगान करें…

ओम नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धनवंतराये:
अमृतकलश हस्ताय सर्वभय विनाशाय सर्वरोगनिवारणाय।

त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप
श्री धन्वंतरि स्वरूप श्री श्री श्री अष्टचक्र नारायणाय नमः॥

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