सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

वस्तु एवं सेवा कर (GST) की बेसिक जानकारी

भाइयों नमस्कार
आज हम चर्चा करेंगे कि वस्तु एवं सेवाकर (GST) के बारे में |
प्रत्येक देश की सरकार अपने देशवासियों से कुछ कर वसूलती है यह कर देशवासियों के ही भलाई में प्रयोग किया जाता है | हमारी सरकार ने हमारे ऊपर दो तरह के टैक्स लगाये हैं एक डायरेक्ट टैक्स दूसरा इंडायरेक्ट टैक्स ( परोक्ष कर और अपरोक्ष कर) |डायरेक्ट टैक्स इनकम टैक्स है जबकि अपरोक्ष कर लगभग उन्नीस प्रकार के थे उदाहरण के लिए - कस्टम ड्यूटी, एक्साइज ड्यूटी,  सेल्स टैक्स, सर्विस टैक्स आदि| सभी अपरोक्ष करों(all indirect taxes) को खत्म करके उनके स्थान पर केवल एक टैक्स कर दिया गया जिसे नाम दिया गया वस्तु एवं सेवाकर (GOODS & SERVICE TAXES) |
आइये समझते हैं कि नये कर से क्या लाभ हमको मिला| इसे समझने के लिए पुराना टैक्स सिस्टम समझना होगा फिर नया समझना आसान होगा जोकि निम्न चित्र में वर्णित है
1
2
चित्र संख्या 2 को ध्यान से देखें
कोई भी वस्तु उत्पादक (PRODUCER) द्वारा निर्मित की जाती है फिर होलसेलर के पास पहुचती है फिर रिटेलर और अंत मे हमारे पास पहुचती है|
माना एक उत्पादक 50 रुपये का कच्चा माल खरीदता है और उसका 40 रुपये खर्च हो जाता है उससे कोई नयी वस्तु बनाने में उसका सम्पूर्ण खर्च 90 रूपया है अब उसने उसमे 10 रुपया फायदा जोड़ दिया फिर 10 प्रतिशत की दर से कर जोडा तब होलसेलर को बेचा | होलसेलर को माल 110 रुपये में प्राप्त हुआ अब होलसेलर ने उसमें 10 रूपया अपना फायदा जोड़ा और 10% की दर से 12 रूपया कर लगाकर रिटेलर को दिया | रिटेलर को माल रिटेलर को माल 132 रुपये में प्राप्त हुआ | अब रिटेलर ने उसमें 10 रुपये अपना फायदा जोड़ा फिर 10% की दर से 14.2 रुपये कर लगाकर उपभोक्ता को 156.2 रुपये में दिया | जिसका सीधा मतलब यह हुआ कि आम आदमी को माल 156.2 रुपये में मिला|इस विधा में हर स्तर पर कर लगता था जिससे वस्तु बहुत अधिक मूल्य पर उपभोक्ता को मिलती थी |इसे कहते थे कर पर कर|
अब बात करते हैं नये कर की
माना प्रोड्यूसर ने कच्चा माल 50 रुपये में खरीद उसको बनाने में 40 रूपये खर्च किया तथा उसमे अपना फायदा 10 रूपये जोड़ा | वस्तु एवं सेवाकर केवल बढ़े मूल्य पर लगता है | इस संदर्भ में कच्चा माल 50 रूपये का था तथा प्रॉफिट एवं खर्च मिलाकर 50 रुपये और लगा जिसपर कर लगेगा| 50 रुपये पर 10% की दर से कर हुआ 5 रुपये जो कि प्रोड्यूसर होलसेलर को बेचते वक्त लगायेगा | होलसेलर को माल 105 रूपये मे मिलेगा | अब होलसेलर उसमे अपना 10 रुपये फायदा जोड़ेगा अब बढ़ा मूल्य 10 रूपया है जिसपर कर लगेगा तब वह वस्तु रिटेलर को 116 रुपये में प्राप्त होगी अब रिटेलर उसमे अपना 10 रूपये फायदा जोड़ेगा फिर बढ़ा हुआ मूल्य हुआ 10 रूपये जिसपर कर लगाकर उपभोक्ता को वस्तु 127 रूपये में मिलेगी |
उपरोक्त उदाहरण से स्पष्ट है कि वस्तु एवं सेवा कर से कितना लाभ है परंतु सरकारी अधिकारियों की लापरवाही और जनसरोकारी के अभाव के चलते हम होने वाले लाभ से वंचित हैं |


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

पिशाच भाष्य

पिशाच भाष्य  पिशाच के द्वारा लिखे गए भाष्य को पिशाच भाष्य कहते है , अब यह पिशाच है कौन ? तो यह पिशाच है हनुमानजी तो हनुमानजी कैसे हो गये पिशाच ? जबकि भुत पिशाच निकट नहीं आवे ...तो भीमसेन को जो वरदान दिया था हनुमानजी ने महाभारत के अनुसार और भगवान् राम ही कृष्ण बनकर आए थे तो अर्जुन के ध्वज पर हनुमानजी का चित्र था वहाँ से किलकारी भी मारते थे हनुमानजी कपि ध्वज कहा गया है या नहीं और भगवान् वहां सारथि का काम कर रहे थे तब गीता भगवान् ने सुना दी तो हनुमानजी ने कहा महाराज आपकी कृपा से मैंने भी गीता सुन ली भगवान् ने कहा कहाँ पर बैठकर सुनी तो कहा ऊपर ध्वज पर बैठकर तो वक्ता नीचे श्रोता ऊपर कहा - जा पिशाच हो जा हनुमानजी ने कहा लोग तो मेरा नाम लेकर भुत पिशाच को भगाते है आपने मुझे ही पिशाच होने का शाप दे दिया भगवान् ने कहा - तूने भूल की ऊपर बैठकर गीता सुनी अब इस पर जब तू भाष्य लिखेगा तो पिशाच योनी से मुक्त हो जाएगा तो हमलोगों की परंपरा में जो आठ टिकाए है संस्कृत में उनमे एक पिशाच भाष्य भी है !

मनुष्य को किस किस अवस्थाओं में भगवान विष्णु को किस किस नाम से स्मरण करना चाहिए।?

 मनुष्य को किस किस अवस्थाओं में भगवान विष्णु को किस किस नाम से स्मरण करना चाहिए। 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ भगवान विष्णु के 16 नामों का एक छोटा श्लोक प्रस्तुत है। औषधे चिंतयते विष्णुं, भोजन च जनार्दनम। शयने पद्मनाभं च विवाहे च प्रजापतिं ॥ युद्धे चक्रधरं देवं प्रवासे च त्रिविक्रमं। नारायणं तनु त्यागे श्रीधरं प्रिय संगमे ॥ दुःस्वप्ने स्मर गोविन्दं संकटे मधुसूदनम् । कानने नारसिंहं च पावके जलशायिनाम ॥ जल मध्ये वराहं च पर्वते रघुनन्दनम् । गमने वामनं चैव सर्व कार्येषु माधवम् ॥ षोडश एतानि नामानि प्रातरुत्थाय य: पठेत ।  सर्व पाप विनिर्मुक्ते, विष्णुलोके महियते ॥ (1) औषधि लेते समय विष्णु (2) भोजन के समय - जनार्दन (3) शयन करते समय - पद्मनाभ   (4) विवाह के समय - प्रजापति (5) युद्ध के समय चक्रधर (6) यात्रा के समय त्रिविक्रम (7) शरीर त्यागते समय - नारायण (8) पत्नी के साथ - श्रीधर (9) नींद में बुरे स्वप्न आते समय - गोविंद  (10) संकट के समय - मधुसूदन  (11) जंगल में संकट के समय - नृसिंह (12) अग्नि के संकट के समय जलाशयी  (13) जल में संकट के समय - वाराह (14) पहाड़ पर ...

श्रीशिव महिम्न: स्तोत्रम्

              __श्रीशिव महिम्न: स्तोत्रम्__ शिव महिम्न: स्तोत्रम शिव भक्तों का एक प्रिय मंत्र है| ४३ क्षन्दो के इस स्तोत्र में शिव के दिव्य स्वरूप एवं उनकी सादगी का वर्णन है| स्तोत्र का सृजन एक अनोखे असाधारण परिपेक्ष में किया गया था तथा शिव को प्रसन्न कर के उनसे क्षमा प्राप्ति की गई थी | कथा कुछ इस प्रकार के है … एक समय में चित्ररथ नाम का राजा था| वो परं शिव भक्त था| उसने एक अद्भुत सुंदर बागा का निर्माण करवाया| जिसमे विभिन्न प्रकार के पुष्प लगे थे| प्रत्येक दिन राजा उन पुष्पों से शिव जी की पूजा करते थे | फिर एक दिन … पुष्पदंत नामक के गन्धर्व उस राजा के उद्यान की तरफ से जा रहा था| उद्यान की सुंदरता ने उसे आकृष्ट कर लिया| मोहित पुष्पदंत ने बाग के पुष्पों को चुरा लिया| अगले दिन चित्ररथ को पूजा हेतु पुष्प प्राप्त नहीं हुए | पर ये तो आरम्भ मात्र था … बाग के सौंदर्य से मुग्ध पुष्पदंत प्रत्यक दिन पुष्प की चोरी करने लगा| इस रहश्य को सुलझाने के राजा के प्रत्येक प्रयास विफल रहे| पुष्पदंत अपने दिव्या शक्तियों के कारण अदृश्य बना रहा | और फिर … राजा च...