बुधवार, 15 अगस्त 2018

आजादी?

बड़ी कीमत गयी चुकाई|
फिर हमने आजादी पाई||
आजादी?
गुलामी से कि अंग्रेजों से?
शोषण से? भ्रस्टाचार के थपेड़ों से?
सबको मिली आजादी?
सबको मिला अधिकार?
इस तथाकथित आजादी से
क्या सबका है सरोकार?
कुछ और ही है इसकी सच्चाई|
गोरों के बदले बस नौकरशाही आयी|
बड़ी कीमत गयी चुकाई |
फिर जाकर आजादी आई|

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