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भारत रत्न विजेताओं की लिस्ट

भारत रत्न विजेताओं की लिस्ट -

चन्द्रशेखर वेंकटरमन (1954)
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी (1954)
सर्वेपल्लि राधाकृष्णन (1954)
भगवान दास (1955)
मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या (1955)
जवाहरलाल नेहरू (1955)
गोविन्द बल्लभ पन्त (1957)
धोंडो केशव कर्वे (1958)
बिधान चंद्र रॉय (1961)
पुरुषोत्तम दास टंडन (1961)
राजेन्द्र प्रसाद (1962)
पांडुरंग वामन काणे (1963)
ज़ाकिर हुसैन (1963)
लालबहादुर शास्त्री (1966)
इन्दिरा गांधी (1971)
वी॰ वी॰ गिरि (1975)
के० कामराज (1976)
मदर टेरेसा (1980)
विनोबा भावे (1983)
ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान (1987)
एम० जी० रामचन्द्रन (1988)
नेल्सन मंडेला (1990)
भीमराव अम्बेडकर (1990)
वल्लभ भाई पटेल (1991)
राजीव गांधी (1991)
मोरारजी देसाई (1991)
सत्यजित राय (1992)
अबुल कलाम आज़ाद (1992)
जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा (1992)
अरुणा आसफ अली (1997)
गुलज़ारीलाल नन्दा (1997)
ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम (1997)
एम॰ एस॰ सुब्बुलक्ष्मी (1998)
चिदम्बरम् सुब्रह्मण्यम् (1998)
अमर्त्य सेन (1999)
रवि शंकर (1999)
गोपीनाथ बोरदोलोई (1999)
जयप्रकाश नारायण (1999)
बिस्मिल्ला ख़ाँ (2001)
लता मंगेशकर (2001)
भीमसेन जोशी (2008)
सी॰ एन॰ आर॰ राव (2013)
अटल बिहारी वाजपेयी (2014)
मदनमोहन मालवीय (2014)
सचिन तेंदुलकर (2014)

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पिशाच भाष्य

पिशाच भाष्य  पिशाच के द्वारा लिखे गए भाष्य को पिशाच भाष्य कहते है , अब यह पिशाच है कौन ? तो यह पिशाच है हनुमानजी तो हनुमानजी कैसे हो गये पिशाच ? जबकि भुत पिशाच निकट नहीं आवे ...तो भीमसेन को जो वरदान दिया था हनुमानजी ने महाभारत के अनुसार और भगवान् राम ही कृष्ण बनकर आए थे तो अर्जुन के ध्वज पर हनुमानजी का चित्र था वहाँ से किलकारी भी मारते थे हनुमानजी कपि ध्वज कहा गया है या नहीं और भगवान् वहां सारथि का काम कर रहे थे तब गीता भगवान् ने सुना दी तो हनुमानजी ने कहा महाराज आपकी कृपा से मैंने भी गीता सुन ली भगवान् ने कहा कहाँ पर बैठकर सुनी तो कहा ऊपर ध्वज पर बैठकर तो वक्ता नीचे श्रोता ऊपर कहा - जा पिशाच हो जा हनुमानजी ने कहा लोग तो मेरा नाम लेकर भुत पिशाच को भगाते है आपने मुझे ही पिशाच होने का शाप दे दिया भगवान् ने कहा - तूने भूल की ऊपर बैठकर गीता सुनी अब इस पर जब तू भाष्य लिखेगा तो पिशाच योनी से मुक्त हो जाएगा तो हमलोगों की परंपरा में जो आठ टिकाए है संस्कृत में उनमे एक पिशाच भाष्य भी है !

मनुष्य को किस किस अवस्थाओं में भगवान विष्णु को किस किस नाम से स्मरण करना चाहिए।?

 मनुष्य को किस किस अवस्थाओं में भगवान विष्णु को किस किस नाम से स्मरण करना चाहिए। 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ भगवान विष्णु के 16 नामों का एक छोटा श्लोक प्रस्तुत है। औषधे चिंतयते विष्णुं, भोजन च जनार्दनम। शयने पद्मनाभं च विवाहे च प्रजापतिं ॥ युद्धे चक्रधरं देवं प्रवासे च त्रिविक्रमं। नारायणं तनु त्यागे श्रीधरं प्रिय संगमे ॥ दुःस्वप्ने स्मर गोविन्दं संकटे मधुसूदनम् । कानने नारसिंहं च पावके जलशायिनाम ॥ जल मध्ये वराहं च पर्वते रघुनन्दनम् । गमने वामनं चैव सर्व कार्येषु माधवम् ॥ षोडश एतानि नामानि प्रातरुत्थाय य: पठेत ।  सर्व पाप विनिर्मुक्ते, विष्णुलोके महियते ॥ (1) औषधि लेते समय विष्णु (2) भोजन के समय - जनार्दन (3) शयन करते समय - पद्मनाभ   (4) विवाह के समय - प्रजापति (5) युद्ध के समय चक्रधर (6) यात्रा के समय त्रिविक्रम (7) शरीर त्यागते समय - नारायण (8) पत्नी के साथ - श्रीधर (9) नींद में बुरे स्वप्न आते समय - गोविंद  (10) संकट के समय - मधुसूदन  (11) जंगल में संकट के समय - नृसिंह (12) अग्नि के संकट के समय जलाशयी  (13) जल में संकट के समय - वाराह (14) पहाड़ पर ...

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