बुलंदशहर में भीड़ ने पुलिस अधिकारी की हत्या कर दिया जो किअपने आप में बहुत ही दुखद घटना है। सवाल यह है कि इन दुर्घटनाओं का जिम्मेदार कौन है? सरकार ? स्थानीय प्रशासन ? जनता ? तस्कर ? या कोई और ? या फिर कोई नही? शायद इस प्रश्न का उत्तर सबको पता है या शायद किसी को नही पता। न सरकार कुछ बोल रही है न ही प्रशासन हर कोई मौन है। परंतु कबतक ऐसा चलेगा सोचना ये है कि क्या जनता सचमुच इतनी अराजक है या उसे मजबूर होना पड़ा या उसे उकसाया गया ।सरकार जनता प्रशासन सबकी जिम्मेदारी तय करनी पड़ेगी । जनता काफी दिनों से प्रशासन से तस्करी रोकने की मांग कर रही थी फिर भी तस्करी चल रही थी। प्रशासन क्यों मजबूर था ।क्या तस्कर इतने प्रभावशाली थे या प्रशासन की शह थी। कौन जाने क्या बात थी? दंगाई कौन हैं? उनके आक्रोश का क्या कारण है? क्या उनका कृत्य उचित है ? मरने वालों में एक पुलिस अधिकारी और एक आम आदमी भी है। क्या आम आदमी कि इतनी हिम्मत है कि वह पुलिस से आंख मिला सके ? अगर प्रशासन सही समय पर सजगता दिखाता तो यह घटना बच सकती थी। सबको अपनी अपनी जिम्मेवारी तय करनी पड़ेगी।सबको अपनी जिम्मेवारी लेनी पड़ेगी।प्रशासन को जनता की सुनना पड़ेगा। जनता को कानून हाथ में नही लेना चाहिए । सरकार को संवेदनशील होना पड़ेगा जनता की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए ।चूक दर तरफ से हो रहीहै रूबको समझदारी से काम लेना चाहिए । उग्रता या हिंसा किसी भी समाज में स्वीकार्य नहीं है।इसका एक ही इलाज है सरकार प्रशासन और जनता सब अपनी सामाजिक सरोकारी मानवता के दायरे मेें निभाये।
पिशाच भाष्य पिशाच के द्वारा लिखे गए भाष्य को पिशाच भाष्य कहते है , अब यह पिशाच है कौन ? तो यह पिशाच है हनुमानजी तो हनुमानजी कैसे हो गये पिशाच ? जबकि भुत पिशाच निकट नहीं आवे ...तो भीमसेन को जो वरदान दिया था हनुमानजी ने महाभारत के अनुसार और भगवान् राम ही कृष्ण बनकर आए थे तो अर्जुन के ध्वज पर हनुमानजी का चित्र था वहाँ से किलकारी भी मारते थे हनुमानजी कपि ध्वज कहा गया है या नहीं और भगवान् वहां सारथि का काम कर रहे थे तब गीता भगवान् ने सुना दी तो हनुमानजी ने कहा महाराज आपकी कृपा से मैंने भी गीता सुन ली भगवान् ने कहा कहाँ पर बैठकर सुनी तो कहा ऊपर ध्वज पर बैठकर तो वक्ता नीचे श्रोता ऊपर कहा - जा पिशाच हो जा हनुमानजी ने कहा लोग तो मेरा नाम लेकर भुत पिशाच को भगाते है आपने मुझे ही पिशाच होने का शाप दे दिया भगवान् ने कहा - तूने भूल की ऊपर बैठकर गीता सुनी अब इस पर जब तू भाष्य लिखेगा तो पिशाच योनी से मुक्त हो जाएगा तो हमलोगों की परंपरा में जो आठ टिकाए है संस्कृत में उनमे एक पिशाच भाष्य भी है !
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