रामरामेतिरामेतिरमेरामेमनोरमे ।
सहस्रनामतत्तुल्यंरामनामवरानने ॥
- (पद्मपु. उत्तरखण्ड ७१।३३१, २५४।२२)
पद्म-पुराण में ही है-
विष्णोरेकैकनामैवसर्ववेदाधिकंमतम् ।
तादृङ्नामसहस्राणिरामनामसमानिच ॥
यत्फलंसर्ववेदानांमंत्राणांजपतःप्रिये ।
तत्फलंकोटिगुणितंरामनाम्नैवलभ्यते ॥
- (पद्मपु. उत्तरखण्ड२५४।२७-२८)
अर्थात्, श्रीविष्णुभगवान् के एक-एक नाम भी सम्पूर्ण वेदों से अधिक
माहात्म्यशाली माना गया है।
ऐसे एक सहस्रनामों के तुल्य रामनाम के समान है।
भगवान शंकर बोले___
हे प्रिये (पार्वती)! समस्त वेदों और सम्पूर्ण मन्त्रों के जप का जो फल प्राप्त होता है,
उसके अपेक्षा कोटि गुणित फल रामनाम से ही प्राप्त हो जाता है।
नारद पुराण तो यहाँ तक कहता है किसी भी मन्त्रों
(गाणपत्य, सौर, शाक्त, शैव एवं वैष्णव) में वैष्णव मन्त्र श्रेष्ठ है।
और वैष्णव-मन्त्रों से भी राम-मन्त्र का फल अधिक है।
तथा गाणपत्यादि मन्त्रों से तो कोटि-कोटि गुणा अधिक है।
।। राम राम ।।
सहस्रनामतत्तुल्यंरामनामवरानने ॥
- (पद्मपु. उत्तरखण्ड ७१।३३१, २५४।२२)
पद्म-पुराण में ही है-
विष्णोरेकैकनामैवसर्ववेदाधिकंमतम् ।
तादृङ्नामसहस्राणिरामनामसमानिच ॥
यत्फलंसर्ववेदानांमंत्राणांजपतःप्रिये ।
तत्फलंकोटिगुणितंरामनाम्नैवलभ्यते ॥
- (पद्मपु. उत्तरखण्ड२५४।२७-२८)
अर्थात्, श्रीविष्णुभगवान् के एक-एक नाम भी सम्पूर्ण वेदों से अधिक
माहात्म्यशाली माना गया है।
ऐसे एक सहस्रनामों के तुल्य रामनाम के समान है।
भगवान शंकर बोले___
हे प्रिये (पार्वती)! समस्त वेदों और सम्पूर्ण मन्त्रों के जप का जो फल प्राप्त होता है,
उसके अपेक्षा कोटि गुणित फल रामनाम से ही प्राप्त हो जाता है।
नारद पुराण तो यहाँ तक कहता है किसी भी मन्त्रों
(गाणपत्य, सौर, शाक्त, शैव एवं वैष्णव) में वैष्णव मन्त्र श्रेष्ठ है।
और वैष्णव-मन्त्रों से भी राम-मन्त्र का फल अधिक है।
तथा गाणपत्यादि मन्त्रों से तो कोटि-कोटि गुणा अधिक है।
।। राम राम ।।
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