शनिवार, 15 दिसंबर 2018

श्री विन्ध्येश्वरीस्तोत्रं

⬛सुप्रभात मानस परिवार⬛
🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
निशुम्भ-शुम्भ मर्दिनीं, प्रचन्ड मुन्ड खन्डिनीं।
वने रणे प्रकशिनीं, भजामि विन्ध्यवासिनीम् ॥
त्रिशुल-मुन्डधारिणीं, धराविघाहारिणीम्।
गृहे-गृहे निवासिनीं, भजामि विन्ध्यवासिनीम्॥
दरिद्र्-दुःख हारिणीं, सदा विभूतिकारिणीम्।
वियोगशोक-हारिणीं, भजामि विन्ध्यवासिनीम्॥लसत्सुलोत-लोचनीं, जने सदा वरप्रदाम्।
कपाल-शूल धारिणीं, भजामि विन्ध्यवासिनीम्॥कराब्जदानदाधरां, शिवां शिवप्रदायिनीम्।
वरा-वराननां शुभां, भजामि विन्ध्यवासिनीम्॥
कपीन्द्र-जामिनीप्रदां, त्रिधास्वरूपधारिणीम्।
जले-स्थले निवासिनीं, भजामि विन्ध्यवासिनीम्॥
विशिष्ट-शिष्टकारिणीं, विशालरूप धारिणीम्।
महोदरे-विलासिनीं, भजामि विन्ध्यवासिनीम्॥पुरन्दरादिसेवितां , सुरारिवंशखंडिताम्।
विशुद्ध-बुद्धिकारिणीं, भजामि विन्ध्यवासिनीम्॥
""""" इति श्री विन्ध्येश्वरीस्तोत्रं//
#जयमाँ विन्ध्यवासिनी ।
जय हो माता विन्ध्यवासिनी जी जय हो//

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

If u have any query let me know.

कुंभ महापर्व

 शास्त्रोंमें कुंभमहापर्व जिस समय और जिन स्थानोंमें कहे गए हैं उनका विवरण निम्नलिखित लेखमें है। इन स्थानों और इन समयोंके अतिरिक्त वृंदावनमें...