मर्यादा के रक्षक श्रीराम ने आखिर बाली का वध पीछे से क्याें किया ?
श्री राम के द्वारा बाली के वध की कथा रामचरितमानस के किष्किंधा कांड में मिलती है। यह एक विवादित प्रश्न रहा है कि मर्यादा के रक्षक श्रीराम ने बाली का वध पीछे से क्याें किया। तुलसीदासजी नेे एक चौपाई-
धर्म हेतु अवतरेहु गोसाईं।
मारेहु मोहि ब्याध की नाईं।
के जरिए इस प्रश्न काेे उठाया हैै यानी बाली नेे मरते वक्त पूछा कि हे राम आपने धर्म की रक्षा के लिए अवतार लिया, लेकिन मुझे शिकारी की तरह छुपकर क्याें मारा। इसका उत्तर अगली चाैपाई में रामजी देते हैं।
अनुज बधू भगिनी सुत नारी।सुनु सठ कन्या सम ए चारी।
इन्हहि कुदृष्टि बिलाकइ जोई। ताहि बंधें कुछ पाप न होई।
यानी रामजी बोले अरे मूर्ख सुन। छोटे भाई की पत्नी, बहन, पुत्र की पत्नी और बेटी ये चारों समान हैं। इनको जो बुरी दृष्टि से देखता है उसे मारने में कोई पाप नहीं है। रामायण के अनुसार बाली ने सुग्रीव को न केवल राज्य से निकाला था, बल्कि उसकी पत्नी भी छीन लिया था। भगवान का क्रोध इसलिए था कि जो व्यक्ति स्त्री का सम्मान नहीं करता उसे सामने से मारने या छुपकर मारने में कोई अंतर नहीं है। मूल बात है उसे दंड मिले।
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