"पूज्य श्रीराधाबाबा के दिव्य संदेश"
(दो ही उपाय हैं)
सच बताऊँ, दो ही उपाय हैं। तीसरा हो, तो मुझे मालूम नहीं।
1. जिस प्रकार मशीन चलती है, उसी तरह यदि जीभ से जागने से लेकर सोने तक नाम का निरन्तर उच्चारण हो, तो इतनी शीघ्रता से भगवान् के अस्तित्व में विश्वास होगा कि स्वयं चकित रह जाइयेगा। मन लगे, तब तो और भी जल्दी होगा। नहीं लगने पर भी सब उपायों की अपेक्षा इससे अत्यन्त शीघ्र यह बात हो जाएगी।
2. कोई महापुरुष सच्चा संत हो और उससे ह्रदय से प्रार्थना की जाए अथवा भगवान् के सामने ह्रदय से रोवें-नाथ ! मेरे मन में आपके अस्तित्व पर अखण्ड-अटूट विश्वास हो जाए, तो सच मानिए, अभी एक क्षण में मन की वृत्ति ऐसी आस्तिक बन जाएगी कि आपके पास रहने वाले भी आस्तिक बनने लग जाएँगे।
बस, ये दो उपाय ही मैं जानता हूँ, और प्रार्थना की सुनवाई में तो देर भी हो, किन्तु यह प्रार्थना तो भगवान या संत अवश्य, अवश्य, अवश्य सुन लेंगे। अतएव, बस प्रार्थना करते चले जाइए।
"परम पूज्य श्रीराधाबाबा जी महाराज"
(दो ही उपाय हैं)
सच बताऊँ, दो ही उपाय हैं। तीसरा हो, तो मुझे मालूम नहीं।
1. जिस प्रकार मशीन चलती है, उसी तरह यदि जीभ से जागने से लेकर सोने तक नाम का निरन्तर उच्चारण हो, तो इतनी शीघ्रता से भगवान् के अस्तित्व में विश्वास होगा कि स्वयं चकित रह जाइयेगा। मन लगे, तब तो और भी जल्दी होगा। नहीं लगने पर भी सब उपायों की अपेक्षा इससे अत्यन्त शीघ्र यह बात हो जाएगी।
2. कोई महापुरुष सच्चा संत हो और उससे ह्रदय से प्रार्थना की जाए अथवा भगवान् के सामने ह्रदय से रोवें-नाथ ! मेरे मन में आपके अस्तित्व पर अखण्ड-अटूट विश्वास हो जाए, तो सच मानिए, अभी एक क्षण में मन की वृत्ति ऐसी आस्तिक बन जाएगी कि आपके पास रहने वाले भी आस्तिक बनने लग जाएँगे।
बस, ये दो उपाय ही मैं जानता हूँ, और प्रार्थना की सुनवाई में तो देर भी हो, किन्तु यह प्रार्थना तो भगवान या संत अवश्य, अवश्य, अवश्य सुन लेंगे। अतएव, बस प्रार्थना करते चले जाइए।
"परम पूज्य श्रीराधाबाबा जी महाराज"
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