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हिंदुत्व - एक जीवनपद्धति

हिंदुत्व - एक जीवनपद्धति

आज से लगभग 6000 वर्ष पहले सम्पूर्ण विश्व में केवल एक ही धर्म था जिसका नाम सनातन धर्म धर्म था और जिसे वैदिक धर्म भी कहा जाता था | सनातन वैदिक धर्म का सीधा मतलब यही था कि  वेदों में बताये गये तरीके से जीवन जीना | वैदिक मार्ग जो जो मानव जीवन को हर तरह से उत्कर्ष पर ले जाने का एकमात्र माध्यम था और है | तब सम्पूर्ण विश्व में केवल दो जातियाँ थी एक आर्य जो वेदमार्गी थे दूसरे अनार्य जो वेद का अनुसरण नही करते थे |
सवाल उठता है की वेद क्या हैं?  इन्हें किसने लिखा?
वेद जो कि सनातन धर्म का मूल हैं सर्वशक्तिमान ईश्वर से अपने आप प्रकट ग्रंथ हैं जिनका रचयिता कोई नहीं है वे परमात्मा से प्रकट भगवद् अंश हैं | लोगों में गलतफहमी है कि महर्षि वेद व्यास जी ने वेदों की रचना की |जबकि सत्यता यह है कि वेद महर्षि वेद व्यास के जन्म के हजारों लाखों साल पहले से ही उपलब्ध हैं |हमारी परम्परा में वेदों को भगवान से उत्पन्न होने के कारण वेद भगवान कहा जाता है उसमें कही गयी हर बात को भगवान की बात माना जाता है |
चूंकि वेदमार्ग का पालन कठिन है और मानवता की सहज प्रवृति है कि सरल की तरफ आकर्षित होना इसलिए लोग वेदमार्ग को त्यागते गये|
हमारे वेद सम्पूर्ण ज्ञान विज्ञान के उद्गम स्थल हैं | वेदों से अनेक उपनिषद निकले हैं | वेदों से अठारह पुराण निकले हैं | अनेक अन्य ग्रंथ जो कि हमारे महान विद्वान महर्षियों द्वारा रचे गये हैं वे वेदों को प्रमाण मानकर ही लिखे गये हैं | जो ज्ञान विज्ञान पूर्व में रहा, या वर्तमान में है अथवा भविष्य में होगा अगर हम खोज सकें तो वेदों में पहले से मिलेगा| चूंकि वेद संस्कृत भाषा में हैं और संस्कृत भाषा के प्रामाणिक विद्वानो की दिनोदिन कमी हो रही है अत: वेदों को पढना समझना बहुत कठिन है |कुछ लोग अनर्गल व्याख्या करके उसमें त्रुटि पैदा करने का षडयंत्र रच रहे हैं |
अनेक आघातों को सहते हुये भी हमारी संस्कृति हमारी परंपरा अगर अबतक बची है तो उसका एकमात्र कारण है हमारी अत्यंत पवित्र गुरू शिष्य परंपरा |गुरू शिष्य परंपरा में गुरू अपने योग्य शिष्य को योग्यतानुसार अपने आचार्यों से प्राप्त तथा खुद के आत्मचिंतन से तैयार ज्ञान विज्ञान अपने शिष्य को प्रदान करता है तथा शिष्य उसे कालक्रम में आगे बढाता है | मैकाले ने इस परंपरा को सुनियोजित तरीके से खत्म करने का षडयंत्र रचा जिसके तहत आज की आधुनिक शिक्षा प्रणाली विकसित की गयी|
विंध्याचल और हिमालय पर्वत के बीच की जगह को प्राचीन काल में आर्यावर्त कहा जाता था हिमालय के उत्तर को सिंध कहा जाता था | जब अंग्रेज आये तो उन्होने हिमालय और हिंद महासागर के बीच के क्षेत्र को हिंद कहा और यहां पर रहने वाले लोगों को हिंदू कहा हिंद शब्द धीरे धीरे इंड हो गया और इस इस क्षेत्र का नाम इंडिया हो गया |
हिंदू जो कि मूल रूप से सनातन धर्म की आधुनिक रूपांतरण है और हिंदुत्व उस महान परंपरा की जीवन शैली है| हमारे धर्म ग्रंथों में जीवन के हर पहलू को वैज्ञानिक, सामाजिक, सामयिक और तार्किक तरीके से समझाया गया है | हमारे ग्रंथ हमें सुबह सोकर उठने से लेकर रात में सोने तक कौन सा कार्य कैसे करना है बताते हैं |हमें कैसे सोना चाहिए, कैसे जागना चाहिए, कैसे बोलना चाहिए, कैसे सुनना चाहिए, कैसे चलना चाहिए , कैसे रूकना चाहिये ,कैसे खाना चाहिये, क्या खाना चाहिए, क्यों खाना चाहिए, किससे दूर रहना चाहिए, किसके संग रहना चाहिए, कब कब क्या करना चाहिए, कब कब क्या क्या नहीं करना चाहिए आदि अनेक बातों को अत्यंत वैज्ञानिक आधार पर बताते हैं |हमारे यहां पानी पीने खाना खाने से लेकर मलमूत्र विसर्जन तक की विधि ग्रंथों में बताई गयी है |हमारे पूर्वज इसी परंपरा से जीवन जीने के अभ्यस्त थे जिन्हें हिंदू तथा जिनकी जीवन पद्धति को हिन्दुत्व कहा गया |हमारी हिंदुत्व परंपरा विश्व की सबसे प्राचीन परंपरा है |दुनिया की समस्त सभ्यताओं ने हमसे कुछ न कुछ सीखा जरूर है | हमारी सभ्यता दुनिया में सबसे ज्यादा आघात सहने वाली सभ्यता है |दुनिया में कितनी सभ्यतायें बनी और मिट गयीं एक मात्र हिंदुत्व की सभ्यता है जो सनातन काल से आजतक अपना गौरव बचाने में समर्थ रही है जो कि श्रेष्ठ है |
हमारी सामर्थ्य का प्रमाण यह है कि हम अनंत आघातो को सहकर भी बचे हैं |
विश्व में कोई सभ्यता तभी चिर काल तक टिकती है जब वह वैज्ञानिक, तार्किक, दार्शनिक, भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक और सामयिक परिस्थितियों को आत्मसात कर अपनी प्रासंगिकता को प्रमाणित करती है और हमारा हिन्दुत्व इसपर शत् प्रतिशत खरा उतरता है |
हमारी समृद्धि का प्रमाण यह है कि विश्व की समस्त सभ्यताओं ने हमसे कुछ न कुछ सीखा जरूर है |
हमरी श्रेष्ठता का प्रमाण यह है कि सबने हमको मिटाने की कोशिश की परंतु हम बचे हैं |
हमारी सहिष्णुता का प्रमाण यह है कि हमने किसी पर आक्रमण नही किया |
हमारी उदारता का प्रमाण यह है कि हमने सबको स्वीकार किया |
जहां आज तथाकथित आधुनिक पश्चिमी सभ्यता दुनिया को बाजार मानती है वहीं हमारा हिंदुत्व दुनिया को परिवार मानता है |हिंदू दुनिया की एकमात्र ऐसी कौम है जो समस्त धर्मों के धर्मस्थलों पर जाती है सबको समान आदर देती है |हमारे यहाँ पेड़ पौधे पर्वत पठार पशु पक्षी नदी सागर स्त्री पुरुष सबको भगवान मानकर पूजा जाता है |हम विश्व बंधुत्व की अवधारणा को मानते हैं |हमने कण कण में भगवान को माना है |हमारे यहाँ अनेक मान्यताएँ है सगुण भी निर्गुण भी, मायावादी भी हैं तत्ववादी भी सबको बराबर सम्मान मिलता है |अनंत काल से अनेक सभ्यतायें बनी और नष्ट हुईं परंतु सनातन वैदिक सभ्यता जिसे कालांतर में हिंदुत्व कहा गया तब भी थी आज भी है और भविष्य में भी रहेगी |हमें अपने हिंदू होने पर और अपने हिंदुत्व पर गौरवान्वित होना चाहिए |

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