आंवला बहुत फायदेमंद होता है

आंवला आयुर्वेद ने इसे ‘अमृतफल’ कहा है। आयुर्वेंद में इसका बहुत ही महत्व है। खाने में आंवला कड़वा, मधुर, एवं शीतल है।
यह अपने कड़वेपन के कारण कफ एवं गैस को खत्म करता है और मधुरता व शीतलता के कारण पित्तनाशक है अत: यह त्रिदोषनाशक है।
आंवले के अन्दर विटामिन `सी´ भरपूर मात्रा में
पायी जाता है। इसकी खास बात यह है कि इसके विटामिन गर्म करने और सुखाने से भी खत्म नहीं होते।
आंवला युवको को जवान बनाए रखता है और बूढ़ों को युवाशक्ति प्रदान करता है। इसी का प्रयोग करके `च्वयन´ ऋषि ने दुबारा अपने यौवन को प्राप्त किया था।आंवले में जितने रोग से लड़ने की शक्ति, खून को साफ और बल-वीर्य बढ़ाने वाले तत्व हैं उतने संसार की किसी वस्तु या औषधि में नहीं हैं। इसलिए स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए अपने भोजन में आवले को मुख्य रूप से शामिल करें।
आंवला हमारे दांतों और मसूढ़ों को स्वस्थ और मजबूत बनाता है एवं तन-मन को फुर्तीला बनाता है।
नर्वस सिस्टम (स्नायु रोग), हृदय की बेचैनी, धड़कन, मोटापा, जिगर,ब्लडप्रेशर, दाद, प्रदर, गर्भाशय दुर्बलता, नपुसंकता, चर्म रोग, मूत्ररोग एवं हडिड्यों आदि के रोगों में आंवला बहुत उपयोगी होता है।
जिगर की दुर्बलता, पीलिया को खत्म करने में
आंवला को शहद के साथ मिलाकर खाने से लाभ मिलता है और यह टॉनिक का काम करता है।
आंवला को रस के रूप में, चटनी के रूप में या इसके चूर्ण को पानी के साथ ले सकते हैं।
कोलेस्ट्रॉल- रोज सुबह खाली पेट एक चम्मच आंवले का पावडर पानी में घोलकर पी लें। इससे रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर स्थिर रहता है।
नेत्र रोग – प्रतिदिन एक बड़ा चम्मच आँवले का रस शहद के साथ मिलाकर चाटने से मोतियाबिन्द में लाभ होता है।आंवले का रस पीने से नेत्र ज्योति बढ़ती है।
आँवला, जामुन और करेले का पावडर एक चम्मच प्रतिदिन दोनों समय लें। इससे मधुमेह को निंयत्रित करने में मदद मिलेगी।
एसिडिटी- तीव्र या असाध्य एसिडिटी हो तो एक ग्राम आँवले का पावडर दूध या पानी में शक्कर के साथ मिलाकर दोनों समय पिएँ।
आंवला अर्थराइटिस के दर्द को कम करने में
भी सहायक होता है।
आंवला बालों को मजबूत बनाता है,इनकी जड़ों को मजबूत करता है और बालों का झडऩा भी काफी हद तक रोकता है।
गर्भवती स्त्रियों को आंवला अवश्य लेना चाहिये, किसी भी रूप में लें।

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