बुधवार, 22 नवंबर 2017

श्रीआंजनेय द्वादशनामस्तोत्रम्

श्रीआंजनेय द्वादशनामस्तोत्रम् 



हनुमानंजनासूनुः वायुपुत्रो महाबलः । रामेष्टः फल्गुणसखः पिंगाक्षोऽमितविक्रमः ॥ १॥ उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशकः । लक्ष्मण प्राणदाताच दशग्रीवस्य दर्पहा ॥ २॥ द्वादशैतानि नामानि कपींद्रस्य महात्मनः । स्वापकाले पठेन्नित्यं यात्राकाले विशेषतः । तस्यमृत्यु भयंनास्ति सर्वत्र विजयी भवेत् ॥ जो श्रीहनुमन्त उपासक प्रतिदिन उपरोक्त बारह नामों का पाठ करता है, उसकी सर्वत्र जय होती है, मंगल होता है, यात्राकाल में भय नहीं होता, अकालमृत्यु आदि नहीं होती है।

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