व्याघ्रानां महति निद्रा
सर्पानां च महद् भयम्।
ब्राह्मणानाम् अनेकत्वं
तस्मात् जीवन्ति जन्तवः।।
अर्थात् ------
शेरो को नींद बहुत आती है, सांपो को डर बहुत लगता है, और ब्राह्मणों में एकता नही है, इसीलिए सभी जीव जी रहे है ।
यदि शेर अपनी नींद का त्याग कर दे, सांप अपना डर छोड़ कर निर्भय हो जाये, और ब्राह्मण अनेकत्व छोड़ कर एक हो जाये तो इस संसार में दूसरे जीवो का रहना कठिन हो जायेगा।
सर्पानां च महद् भयम्।
ब्राह्मणानाम् अनेकत्वं
तस्मात् जीवन्ति जन्तवः।।
अर्थात् ------
शेरो को नींद बहुत आती है, सांपो को डर बहुत लगता है, और ब्राह्मणों में एकता नही है, इसीलिए सभी जीव जी रहे है ।
यदि शेर अपनी नींद का त्याग कर दे, सांप अपना डर छोड़ कर निर्भय हो जाये, और ब्राह्मण अनेकत्व छोड़ कर एक हो जाये तो इस संसार में दूसरे जीवो का रहना कठिन हो जायेगा।
अति सुन्दर
जवाब देंहटाएंयह श्लोक कहा से लिया गया है।
जवाब देंहटाएंचाणक्य नीति से
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