संदेश

अक्तूबर, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

देव प्रबोधिनी एकादशी व्रत कथा

चित्र
           देव प्रबोधिनी एकादशी व्रत कथा    ब्रह्माजी बोले- हे मुनिश्रेष्ठ! अब पापों को हरने वाली पुण्य और मुक्ति देने वाली एकादशी का माहात्म्य सुनिए। पृथ्वी पर गंगा की महत्ता और समुद्रों तथा तीर्थों का प्रभाव तभी तक है जब तक कि कार्तिक की देव प्रबोधिनी एकादशी तिथि नहीं आती। मनुष्य को जो फल एक हजार अश्वमेध और एक सौ राजसूय यज्ञों से मिलता है वही प्रबोधिनी एकादशी से मिलता है। नारदजी कहने लगे कि हे पिता! एक समय भोजन करने, रात्रि को भोजन करने तथा सारे दिन उपवास करने से क्या फल मिलता है सो विस्तार से बताइए। ब्रह्माजी बोले- हे पुत्र। एक बार भोजन करने से एक जन्म और रात्रि को भोजन करने से दो जन्म तथा पूरा दिन उपवास करने से सात जन्मों के पाप नाश होते हैं। जो वस्तु त्रिलोकी में न मिल सके और दिखे भी नहीं वह हरि प्रबोधिनी एकादशी से प्राप्त हो सकती है। मेरु और मंदराचल के समान भारी पाप भी नष्ट हो जाते हैं तथा अनेक जन्म में किए हुए पाप समूह क्षणभर में भस्म हो जाते हैं। जैसे रुई के बड़े ढेर को अग्नि की छोटी-सी चिंगारी पलभर में भस्म कर देती है। विधिपूर्वक थोड़ा-सा पुण्य कर्म बहुत फल देता है

जनक ने सीता स्वयंवर में अयोध्या नरेश दशरथ को आमंत्रण क्यों नहीं भेजा?

जनक ने सीता स्वयंवर में अयोध्या नरेश दशरथ को आमंत्रण क्यों नहीं भेजा?  जनक के शासनकाल में एक व्यक्ति का विवाह हुआ। जब वह पहली बार सज-सँवरकर ससुराल के लिए चला, तो रास्ते में चलते-चलते एक जगह उसको दलदल मिला, जिसमें एक गाय फँसी हुई थी, जो लगभग मरने के कगार पर थी।  उसने विचार किया कि गाय तो कुछ देर में मरने वाली ही है तथा कीचड़ में जाने पर मेरे कपड़े तथा जूते खराब हो जाएँगे, अतः उसने गाय के ऊपर पैर रखकर आगे बढ़ गया। जैसे ही वह आगे बढ़ा गाय ने तुरन्त दम तोड़ दिया तथा शाप दिया कि जिसके लिए तू जा रहा है, उसे देख नहीं पाएगा, यदि देखेगा तो वह मृत्यु को प्राप्त हो जाएगी। वह व्यक्ति अपार दुविधा में फँस गया और गौ-शाप से मुक्त होने का विचार करने लगा। ससुराल पहुँचकर वह दरवाजे के बाहर घर की ओर पीठ करके बैठ गया और यह विचार कर कि यदि पत्नी पर नजर पड़ी, तो अनिष्ट नहीं हो जाए। परिवार के अन्य सदस्यों ने घर के अन्दर चलने का काफी अनुरोध किया, किन्तु वह नहीं गया और न ही रास्ते में घटित घटना के बारे में किसी को बताया। उसकी पत्नी को जब पता चला, तो उसने कहा कि चलो, मैं ही चलकर उन्हें घर के अन्दर लाती

पुत्र प्राप्ति हेतु पाठ करें

चित्र
॥ सन्तानगोपाल स्तोत्र ॥ सन्तानगोपाल मूल मन्त्र: ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते । देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः ॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय । सन्तानगोपालस्तोत्रं श्रीशं कमलपत्राक्षं देवकीनन्दनं हरिम् । सुतसंप्राप्तये कृष्णं नमामि मधुसूदनम् ॥१॥ नमाम्यहं वासुदेवं सुतसंप्राप्तये हरिम् । यशोदाङ्कगतं बालं गोपालं नन्दनन्दनम्॥२॥ अस्माकं पुत्रलाभाय गोविन्दं मुनिवन्दितम् । नमाम्यहं वासुदेवं देवकीनन्दनं सदा ॥३॥ गोपालं डिम्भकं वन्दे कमलापतिमच्युतम् । पुत्रसंप्राप्तये कृष्णं नमामि यदुपुङ्गवम् ॥४॥ पुत्रकामेष्टिफलदं कञ्जाक्षं कमलापतिम् । देवकीनन्दनं वन्दे सुतसम्प्राप्तये मम ॥५॥ पद्मापते पद्मनेत्रे पद्मनाभ जनार्दन । देहि मे तनयं श्रीश वासुदेव जगत्पते ॥६॥ यशोदाङ्कगतं बालं गोविन्दं मुनिवन्दितम् । अस्माकं पुत्र लाभाय नमामि श्रीशमच्युतम् ॥७॥ श्रीपते देवदेवेश दीनार्तिर्हरणाच्युत । गोविन्द मे सुतं देहि नमामि त्वां जनार्दन ॥८॥ भक्तकामद गोविन्द भक्तं रक्ष शुभप्रद । देहि मे तनयं कृष्ण रुक्मिणीवल्लभ प्रभो ॥९॥ रुक्मिणीनाथ सर्वेश देहि मे तनयं सदा । भक्तमन

छठ पर्व का महत्व व कथा

चित्र
छठ पर्व का महत्व व कथा छठ पर्व  षष्ठी  का अपभ्रंश है. कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली मनाने के 6 दिन बाद कार्तिक शुक्ल को मनाए जाने के कारण इसे छठ कहा जाता है. यह चार दिनों का त्योहार है और इसमें साफ-सफाई का खास ध्यान रखा जाता है. इस त्योहार में गलती की कोई जगह नहीं होती. इस व्रत को करने के नियम इतने कठ‍िन हैं, इस वजह से इसे महापर्व अौर महाव्रत के नाम से संबाेध‍ित किया जाता है. कौन हैं छठी मइया... मान्यता है कि छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं और उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए जीवन के महत्वपूर्ण अवयवों में सूर्य व जल की महत्ता को मानते हुए, इन्हें साक्षी मान कर भगवान सूर्य की आराधना तथा उनका धन्यवाद करते हुए मां गंगा-यमुना या किसी भी पवित्र नदी या पोखर ( तालाब ) के किनारे यह पूजा की जाती है. षष्ठी मां यानी कि छठ माता बच्चों की रक्षा करने वाली देवी हैं. इस व्रत को करने से संतान को लंबी आयु का वरदान मिलता है. मार्कण्डेय पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि सृष्ट‍ि की अध‍िष्ठात्री प्रकृति देवी ने अपने आप को छह भागों में विभाजित किया है. इनके छठे अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी के

शिव नाम महिमा

चित्र
भगवान् श्रीकृष्ण कहते है ‘महादेव महादेव’ कहनेवाले के पीछे पीछे मै नामश्रवण के लोभ से अत्यन्त डरता हुआ जाता हूं। जो शिव शब्द का उच्चारण करके प्राणों का त्याग करता है, वह कोटि जन्मों के पापों से छूटकर मुक्ति को प्राप्त करता है । शिव शब्द कल्याणवाची है और ‘कल्याण’ शब्द मुक्तिवाचक है, वह मुक्ति भगवन् शंकर से ही प्राप्त होती है, इसलिए वे शिव कहलाते है । धन तथा बान्धवो के नाश हो जानेके कारण शोकसागर मे मग्न हुआ मनुष्य ‘शिव’ शब्द का उच्चारण करके सब प्रकार के कल्याणको प्राप्त करता है । शि का अर्थ है पापोंका नाश करनेवाला और व कहते है मुक्ति देनेवाला। भगवान् शंकर मे ये दोनों गुण है इसीलिये वे शिव कहलाते है । शिव यह मङ्गलमय नाम जिसकी वाणी मे रहता है, उसके करोड़ जन्मों के पाप नष्ट हो जाते है । शि का अर्थ है मङ्गल और व कहते है दाता को, इसलिये जो मङ्गलदाता है वही शिव है । भगवान् शिव विश्वभर के मनुष्योंका सदा ‘शं’ कल्याण करते है और ‘कल्याण’ मोक्ष को कहते है । इसीसे वे शंकर कहलाते है । ब्रह्मादि देवता तथा वेद का उपदेश करनेवाले जो कोई भी संसार मे महान कहलाते हैं उन सब के देव अर्थात् उपास्य होने

राकेश झुनझुनवाला के निवेश के गोल्डेन टिप्स

चित्र
1-मैंने प्रेस और पत्नियों के बारे में दो बातें सीखी हैं जब वे कुछ कहते हैं - प्रतिक्रिया न करें निवेशक अक्सर अखबारों और मीडिया में सभी स्टॉक सिफारिशों के माध्यम से जाते हैं लेकिन वे शायद ही कभी संबंधित व्यवसाय के मूल सिद्धांतों का अध्ययन करते हैं। ऐसे निवेशक अक्सर घाटे को खत्म करते हैं, क्योंकि वे उन कारकों को मापने में असमर्थ हैं जो एक विशेष स्टॉक को प्रभावित कर सकते हैं। 2-प्रवृत्ति का अनुमान और इससे लाभ। व्यापारियों को मानव स्वभाव के खिलाफ जाना चाहिए। कई बार, व्यापारी या निवेशक शेयरों को खरीदने के द्वारा झुंड की मानसिकता का पालन करते हैं जिसमें अधिकांश अन्य लोग खरीद रहे हैं। यह एक अच्छा अभ्यास नहीं है क्योंकि निवेश का उद्देश्य व्यक्ति से अलग-अलग और समय-समय पर भिन्न हो सकता है। तो अपने आप से पूछिए कि आप किसी विशेष स्टॉक क्यों खरीद रहे हैं 3-किसी व्यवसाय में निवेश करें, न कि कंपनी आम तौर पर, निवेशक विपरीत होते हैं, अर्थात, अगर किसी विशेष कंपनी का स्टॉक उन्हें उत्तेजित करता है तो वे व्यापार के विवरण के बिना और व्यवसाय की प्रकृति का अध्ययन किए बिना इसे खरीदते हैं। 4-जब शेयर

प्रिफरेंस शेयर

प्रिफरेंस शेयर  इक्विटी शेयरों पर कंपनी की समाप्ति की स्थिति में लाभांश के रूप में तरजीही अधिकारों और पूंजी के पुनर्भुगतान का आनंद लेने वाले शेयरों को अधिमान शेयर कहा जाता है। वरीयता शेयरों के धारक को एक निश्चित दर लाभांश मिलेगा। वरीयता शेयर हो सकते हैं: संचयी प्राथमिकताएं अगर कंपनी को किसी भी वर्ष में पर्याप्त लाभ नहीं मिलता है, वरीयता शेयरों पर लाभांश उस वर्ष के लिए भुगतान नहीं किया जा सकता है। लेकिन अगर वरीयता शेयर संचयी होते हैं तो इन शेयरों पर इस तरह के अवैतनिक लाभांश संचित हो जाते हैं और बाद के वर्षों में कंपनी के मुनाफे से देय हो जाते हैं। ऐसे बकाया राशि का भुगतान करने के बाद ही, गुणवत्ता शेयरों के धारक को किसी भी लाभांश का भुगतान किया जा सकता है। इस प्रकार एक संचयी वरीयता शेयरधारक को निश्चित रूप से कंपनी के आय के सभी वर्षों के लिए अपने शेयरों पर लाभांश प्राप्त करना निश्चित है। गैर-संचयी प्राथमिक शेयर गैर-संचयी वरीयता शेयरों के धारकों को कोई संदेह नहीं है, निश्चित लाभांश प्राप्त करने में तरजीही अधिकार मिलेगा जो गुणवत्ता शेयरधारकों को वितरित किया जाता है। निश्चित लाभा

डीमैट खाता क्या है?

डीमैट खाता क्या है? एक डीमैट अकाउंट एक ऐसा खाता है जो निवेशकों को अपने शेयर इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखने की अनुमति देता है। डीमैट खाते में स्टॉक्स डिमटेरियलाइज्ड फॉर्म में रहते हैं। डिमटेरियलाइजेशन भौतिक शेयरों को इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में परिवर्तित करने की प्रक्रिया है। सभी ट्रेडों के इलेक्ट्रॉनिक बस्तियों को सक्षम करने के लिए एक डीमैट अकाउंट नंबर आवश्यक है। एक बैंक खाता जैसे डीमैट अकाउंट फंक्शन, जहां आप अपना पैसा रखते हैं और संबंधित प्रविष्टियां बैंक पासबुक में होती हैं। एक समान रूप में, प्रतिभूतियों को भी इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखा जाता है और तदनुसार डेबिट किया जाता है या श्रेय दिया जाता है। किसी डीमैट खाते को शेयरों का कोई शेष राशि नहीं खोला जा सकता है। आपके खाते में शून्य शेष राशि हो सकती है। आपको एक डीमैट खाता क्यों होना चाहिए: चूंकि शेयरों को भौतिक रूपों में रखना मुश्किल है क्योंकि इसमें कई कागजी कार्रवाई, लंबी प्रक्रिया और नकली शेयरों का जोखिम शामिल है। इसलिए, सरल और निर्बाध व्यापार और निवेश के लिए, भारत के स्टॉक एक्सचेंजों में व्यापार करने के लिए डीमैट खाता होना जरूरी है। ह

म्यूचुअल फंड

एक म्यूचुअल फंड निवेशकों से पैसा इकट्ठा करता है और उनकी ओर से पैसा निवेश करता है। यह पैसे के प्रबंधन के लिए एक छोटा शुल्क लगाता है म्युचुअल फंड नियमित निवेशकों के लिए एक आदर्श निवेश वाहन हैं जो निवेश के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं। निवेशक अपने वित्तीय लक्ष्य के आधार पर एक म्यूचुअल फंड योजना चुन सकते हैं और लक्ष्य हासिल करने के लिए निवेश करना शुरू कर सकते हैं। म्यूचुअल फंड में निवेश कैसे करें? आप या तो म्यूचुअल फंड से सीधे निवेश कर सकते हैं या म्यूचुअल फंड सलाहकार की सेवाएं ले सकते हैं। यदि आप सीधे निवेश कर रहे हैं, तो आप म्यूचुअल फंड योजना की सीधे योजना में निवेश करेंगे। यदि आप एक सलाहकार या मध्यस्थ के माध्यम से निवेश कर रहे हैं, तो आप इस योजना के नियमित योजना में निवेश करेंगे। यदि आप सीधे निवेश करना चाहते हैं, तो आपको प्रासंगिक दस्तावेज़ों के साथ म्यूचुअल फंड की वेबसाइट या इसकी अधिकृत शाखाओं का दौरा करना होगा। प्रत्यक्ष योजना में निवेश का लाभ यह है कि आप कमिशन पर बचत करते हैं और निवेश किए गए पैसा लंबी अवधि में काफी लाभ उठा सकते हैं। इस पद्धति का सबसे बड़ा दोष यह है कि आपको औप

भोजन

चित्र
मनु स्मृति में कहा गया है कि — न भुञ्जीतोद्धतस्नेहं नातिसौहित्यमाचरेत्। नातिप्रगे नातिसायं न सत्यं प्रतराशितः।।          हिन्दी में भावार्थ-जिन पदार्थों से चिकनाई निकाली गयी हो उनका सेवन करना ठीक नहीं है। दिन में कई बार पेट भरकर, बहुत सवेरे अथवा बहुत शाम हो जाने पर भोजन नहीं करना चाहिए। प्रातःकाल अगर भरपेट भोजन कर लिया तो फिर शाम को नहीं करना चाहिए। न कुर्वीत वृथा चेष्टा न वार्यञ्जलिना पिवेत् नोत्सङ्गे भक्षवेद् भक्ष्यान्नं जातु स्वात्कुतूहली।।                हिन्दी में भावार्थ-जिस कार्य को करने से कोई लाभ न हो उसे करना व्यर्थ है। अंजलि से पानी नहीं पीना चाहिए और गोद में रखकर भोजन नहीं करना चाहिए।

श्री गौवर्धन पूजा की पौराणिक कथा

चित्र
     श्री गौवर्धन पूजा की पौराणिक कथा एक बार एक महर्षि ने ऋषियों से कहा कि कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को गोवर्धन व अन्नकूट की पूजा करनी चाहिए।तब ऋषियों ने महर्षि से पूछा-' अन्नकूट क्या है? गोवर्धन कौन हैं? इनकी पूजा क्यों तथा कैसे करनी चाहिए? इसका क्या फल होता है? इस सबका विधान विस्तार से कहकर कृतार्थ करें । महर्षि बोले- 'एक समय की बात है- भगवान श्रीकृष्ण अपने सखा और गोप-ग्वालों के साथ गाय चराते हुए गोवर्धन पर्वत की तराई में पहुंचे। वहां पहुंचकर उन्होंने देखा कि हज़ारों गोपियां 56 (छप्पन) प्रकार के भोजन रखकर बड़े उत्साह से नाच-गाकर उत्सव मना रही थीं। पूरे ब्रज में भी तरह-तरह के मिष्ठान्न तथा पकवान बनाए जा रहे थे। श्रीकृष्ण ने इस उत्सव का प्रयोजन पूछा तो गोपियां बोली-'आज तो घर-घर में यह उत्सव हो रहा होगा, क्योंकि आज वृत्रासुर को मारने वाले मेघदेवता, देवराज इन्द्र का पूजन होगा। यदि वे प्रसन्न हो जाएं तो ब्रज में वर्षा होती है, अन्न पैदा होता है, ब्रजवासियों का भरण-पोषण होता है, गायों का चारा मिलता है तथा जीविकोपार्जन की समस्या हल होती है। यह सुनकर श्रीकृष्ण ने कहा-

गोपीगीत

चित्र
गोपी गीत में उन्नीस श्लोक सबने एक साथ गाया, एक ही स्वर में, 'गोपी-गीत' गाया. 1. !! जयति तेsधिकं जन्मना ब्रज:श्रयत इन्द्रिरा शश्व दत्र हि द्यति द्दश्यतां दिक्षु तावका स्त्वयि धृतासवस्त्वां विचिन्वते !! भवार्थ - हे प्रियतम प्यारे! तुम्हारे जन्म के कारण वैकुण्ठ आदि लोको से भी अधिक ब्रज की महिमा बढ़ गयी है तभी तो सौंदर्य और माधुर्य की देवी लक्ष्मी जी स्वर्ग छोडकर यहाँ की सेवा के लिए नित्य निरंतर निवास करने लगी है हे प्रियतम देखो तुम्हारी गोपियाँ जिन्होंने तुम्हारे चरणों में ही अपने प्राण समर्पित कर रखे है वन वन में भटक ढूँढ रही है. 2. !! शरदुदाशये साधु जातसत सरसिजोदरश्रीमुषा द्द्शा सुरतनाथ तेsशुल्दासिका वरद निघ्न्तो नेह किं वधः !! भवार्थ - हे हमारे प्रेम पूरित ह्रदय के स्वामी ! हम तो आपकी बिना मोल की दासी है तुम शरदऋतु के सुन्दर जलाशय में से चाँदनी की छटा के सौंदर्य को चुराने वाले नेत्रो से हमें घायल कर चुके हो. हे प्रिय !अस्त्रों से हत्या करना ही वध होता है, क्या इन नेत्रो से मरना हमारा वध करना नहीं है. 3. !! विषजलाप्ययाद व्यालराक्षसादवर्षमारुताद वैद्युतानलात वृषम

व्रजधाम

                   व्रजधाम रणवाड़ी के बाबा कृष्णदास जी बंगवासी थे, संपन्न ब्राह्मण कुल में उत्पन्न हुए थे, जब घर में अपने विवाह की बात सुनी तो ग्रहत्याग कर पैदल भागकर श्रीधाम वृंदावन आ गए. जिस समय वृंदावन आये थे उस समय वृंदावन भीषण जंगल था, वही अपनी फूस की कुटी बनाकर रहने लगे, केवल एक बार ग्राम से मधुकरी माँग लाते थे. बाबा बाल्यकाल में ही व्रज आ गए थे इसलिए किसी तीर्थ आदि का दर्शन नहीं किया था. प्रायः ५० वर्ष का जीवन बीत गया था, एक बार मन में विचार आया कि चारधाम यात्रा कर आऊ. किन्तु प्रिया जी ने स्वपन में आदेश दिया इस धाम को छोड़कर अन्यत्र कही मत जाना, यही रहकर भजन करो, यही तुम्हे सर्वसिद्धि लाभ होगा. किन्तु बाबा ने श्री जी के स्वप्नदेश को अपने मन और बुद्धि की कल्पना मात्र ही समझकर उसकी कोई परवाह न की और तीर्थ भ्रमण को चल पड़े. भ्रमण करते करते द्वारिका जी में पहुँच गए तो वहाँ तप्तमुद्रा की शरीर पर छाप धारण कर ली. चारो संप्रदायो के वैष्णवगण द्वारिका जाकर तप्तमुद्रा धारण करते है, परन्तु ये श्री वृंदावननीय रागानुगीय वैष्णवों की परंपरा के सम्मत नहीं है. बाबा जी ने व्रज के सदाच

बुक वैल्यु (Book Value)

              Book value  पुस्तक मूल्य मूल रूप से एक लेखा उपाय है। कंपनी की बैलेंस शीट को देखकर यह गणना की जा सकती है। पुस्तक मूल्य कंपनी का मालिक है और उसका रिकॉर्डिक रूप से बकाया है - कुल भूमि, इमारतों, मशीनरी आदि ... कुल बकाया से कम - ऋण जैसे देनदारियां पुस्तक मूल्य कैसे पाएं? पुस्तक मूल्य खोजने का आसान तरीका है - बुक वैल्यू = इक्विटी शेयर पूंजी + बरकरार रखा आय दोनों ही आंकड़े कंपनी के बैलेंस शीट में उपलब्ध हैं। आप पुस्तक मूल्य प्राप्त करने के लिए ऊपर दिए गए नंबरों को जोड़ सकते हैं। दूसरा विकल्प वित्तीय वेबसाइटों पर भरोसा करना है जहां यह जानकारी सीधे उपलब्ध है। PRICE / BV राशि पुस्तक अनुपात या पी / बी अनुपात की कीमत कंपनी के बुक वैल्यू के बाजार मूल्य पर मूल्य दर्शाती है। पुस्तक अनुपात की कीमत के रूप में गणना की जाती है: पी / बी अनुपात = प्रति शेयर बाजार मूल्य / शेयर मूल्य प्रति शेयर पुस्तक मूल्य से विभाजित बाजार का मूल्य कंपनी की संपत्ति के प्रत्येक रुपया के बाजार मूल्य को दर्शाता है। उदाहरण के लिए यदि पी / बी अनुपात 4 है, तो इसका मतलब है कि प्रत्येक 1 रुपये की

स्वप्नफल

चित्र
1- सांप दिखाई देना- धन लाभ 2- नदी देखना- सौभाग्य में वृद्धि 3- नाच-गाना देखना- अशुभ समाचार मिलने के योग 4- नीलगाय देखना- भौतिक सुखों की प्राप्ति 5- नेवला देखना- शत्रुभय से मुक्ति 6- पगड़ी देखना- मान-सम्मान में वृद्धि 7- पूजा होते हुए देखना- किसी योजना का लाभ मिलना 8- फकीर को देखना- अत्यधिक शुभ फल 9- गाय का बछड़ा देखना- कोई अच्छी घटना होना 10- वसंत ऋतु देखना- सौभाग्य में वृद्धि 11- स्वयं की बहन को देखना- परिजनों में प्रेम बढऩा 12- बिल्वपत्र देखना- धन-धान्य में वृद्धि 13- भाई को देखना- नए मित्र बनना 14- भीख मांगना- धन हानि होना 15- शहद देखना- जीवन में अनुकूलता 16- स्वयं की मृत्यु देखना- भयंकर रोग से मुक्ति 17- रुद्राक्ष देखना- शुभ समाचार मिलना 18- पैसा दिखाई- देना धन लाभ 19- स्वर्ग देखना- भौतिक सुखों में वृद्धि 20- पत्नी को देखना- दांपत्य में प्रेम बढ़ना 21- स्वस्तिक दिखाई देना- धन लाभ होना 22- हथकड़ी दिखाई देना- भविष्य में भारी संकट 23- मां सरस्वती के दर्शन- बुद्धि में वृद्धि 24- कबूतर दिखाई देना- रोग से छुटकारा 25- कोयल देखना- उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति 2

भीगा चना वरदान है

चित्र
भिगोए हुए चने में प्रोटीन, फाइबर, मिनरल और विटामिन्स खूब होते हैं जो कई बीमारियों से बचाव के साथ-साथ हेल्दी रहने में भी हेल्पफुल होते हैं। वैसे तो हर व्यक्ति के लिए चने खाने के अपने फायदे हैं, लेकिन खासकर पुरुषाें को तो ये जरूर खाने चाहिए। चने में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, नमी, चिकनाई, रेशे, कैल्शियम, आयरन व विटामिन्स पाए जाते हैं। चने के सेवन से सुंदरता बढ़ती है साथ ही दिमाग भी तेज हो जाता है। 1. 25 ग्राम काले चने रात में भिगोकर सुबह खाली पेट सेवन करने से डायबिटीज दूर हो जाती है। 2. गर्म चने रूमाल या किसी साफ कपड़े में बांधकर सूंघने से जुकाम ठीक हो जाता है। 3. मोटापा घटाने के लिए रोजाना नाश्ते में चना लें। 4. अंकुरित चना 3 साल तक खाते रहने से कुष्ट रोग में लाभ होता है। 5. गर्भवती को उल्टी हो तो भुने हुए चने का सत्तू पिलाएं। 6. चना पाचन शक्ति को संतुलित और दिमागी शक्ति को भी बढ़ाता है। चने से खून साफ होता है जिससे त्वचा निखरती है। Chickpeas 7. सर्दियों में चने के आटे का हलवा अस्थमा में फायदेमंद होता है। 8. चने के आटे की नमक रहित रोटी 40 से 60 दिनों तक खाने से त्वचा संब