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गोमुखासन

               गोमुखासन 


गोमुखासन का अर्थ है गाय के मुख के समान आकृति वाला आसन। इस आसन में गाय के मुहं के समान एक सिरे पर पतला और दूसरे सिरे पर चैड़ा जैसी आकृति बनानी पड़ती है। इसीलिए इसे गोमुखासन कहा जाता है। इस आसन में पैर के घुटनो को एक के उपर एक रखने और पैर के पंजो का अगल-बगल निकले होने के कारण गाय के कान के समान प्रतित होते है। गोमुखासन करने की दो विधि हैं।

गोमुखासन की दो विधियाँ है –

प्रथम विधि

इस विधि में सबसे पहले पैरों को सामने की तरफ फैलाकर बैठना होता है। अब दाहिने पैर को घुटने से मोड़ते हुए पंजे को बाएँ नितंब के पास ले जावें और बाएँ पैर को मोड़कर दाहिने घुटने पर बाएँ घुटने को रखें। इस स्थिति में बाएँ पैर का पंजा दाहिने नितंब के पास आ जायेगा। अब बाएँ हाथ को ऊपर सिर के पिछे से ले जाएँ और दाहिने हाथ को कमर के बगल से पीठ के ऊपर की तरफ ले जाएँ। दोनो हाथों के पंजो की अंगुलियां आपस में फंसा लें। यही आसन गोमुखासन होता है। गोमुखासन में पैरो और हाथों के क्रम को बदल कर करते रहना चाहिए।

दूसरी विधि

गोमुखासन

दूसरी विधि में सूखासन में बैठकर बाएं पैर के पंजे को दाहिने नितंब के नीचे इस प्रकार रखें कि एड़ी गुदा द्वार के नीचे आ जाये। अब दाहिने पैर को मोड़कर बांए पैर के ऊपर इस प्रकार रखें कि पंजे जमीन को छूने लगें। क्रमशः अभ्यास से दोनो एड़ियाँ आपस में मिलने लगती हैं। अब बाएं हाथ को बगल से पीठ के पीछे ले जाएँ। दोनो हाथ के पंजो को कैंची की तरह फँसा लें। इस स्थिति में स्थिर रहकर श्वास-प्रश्वास करे। अब मूल स्थिति में वापस आएँ एवं हाथ और पैर की स्थिति बदल लें। इस प्रकार यह आसन पूर्ण होता है।

गोमुख-आसन करते समय अपने ध्यान को मूलाधार चक्र पर रखें।

»पहली विधि में जो पैर उपर रहता है उसी तरफ़ का हाथ उपर की तरफ से पीछे जाता है।

»दूसरी विधि अनुसार जो पैर नीचे स्थित है उस तरफ का हाथ ऊपर की तरफ से पीछे जाता है।

गोमुखासन के लाभ / फायदे

गोमु-खासन करने से पैरों की एंठन दूर होती है।
इसके निरंतर अभ्यास से छाती मजबूत और चैड़ी होती है।
मधुमेह, गठियावात, कमर दर्द, कब्ज, पीठ दर्द व शीघ्रपतन जैसी बिमारीयां दूर होती है।
 कंधे मजबूत होते है।
स्त्रियों के ढीले वक्ष स्थल कठोर होता है।
यह दृढ इच्छाशक्ति का विकास करता है।
मेरूदण्ड स्थिर व मजबूत बनता है।
गोमुखासन करते समय सावधानियां

सर्वाइकल, तेज कमरदर्द, घुटनों की तीव्र वेदना, आदि रोगों से पीड़ित व्यक्ति सयम से करें। योग्य योगगुरू की देख-रेख में ही इन समस्याओं में गोमुखासन को करना चाहिए। लम्बे समय तक एक ही स्थिति में न बैठें। निरंतर अभ्यास से ही गोमु-खासन के समय को बढाया जा सकता है।

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