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सर्वांगासन

              सर्वांगासन


परिभाषा- सर्वांगासन शब्द का संधि विच्छेद करने पर यह सर्व+अंग+आसन से मिलकर बना है। सर्व का अर्थ होता है सभी या पूरा और अंग का अर्थ हम शरीर से लेते हैं तो इसका शाब्दिक अर्थ होगा – वह आसन जिसको करने से शरीर की सभी क्रियाऐं हो जाती हैं और इससे पूरा शरीर लाभान्वित होता है। इसे ही सर्वां गासन कहा जाता है। शीर्षाशन के पश्चात यह सबसे महत्वपूर्ण आसनों में गिना जाता है। सर्वां गासन को आसनो का राजा भी कहा जाता है।

सर्वांगासन करने की विधि

पीठ के बल के लेट जाएँ और दोनो हाथों को कमर के अगल-बगल में रखें।
अब घूटनों को कड़ा रखते हुए दोनो पैरों को ऊपर की ओर उठाएँ।ऽ पैरों को इतना ऊपर उठाऐं की कमर और पैर दोनों समकोण बना लें।
अब अपनी हथेलियों को कमर पर लगायें और धीरे-धीरे कमर को हाथों के सहारे इतना उठाएँ कि आपकी ठुड्डी आपके सीने को छूने लगे। यह विधि सालंब सर्वांगासन कहलाती है।
निरंतर अभ्यास करते रहें और हाथों को हटाने की आदत डालें।सर्वांगासन का समयसर्वांगासन को आप अपने सामथ्र्य अनुसार आधे मिनट से 5 मिनट तक कर सकते है। शुरूआत में थोड़ा असहज होगें लेकिन निरंतर अभ्यास से आप अपने समय को बढा भी सकते हैं। सर्वांगासन करते समय अंतःकुंभक करे एवं पूर्ण आसन पर स्वाभाविक श्वास प्रक्रिया को चलने दें।


सर्वांगासन के फायदे

सर्वां-गासन’ का मुख्य रूप से प्रभाव थायराॅइड ग्रंथि, मेरूदण्ड, हृदय एवं पैरों से सम्बधिंत सभी रोगों पर पड़ता है। तभी इस आसन को काया-कल्पासन भी कह सकते हैं। क्योंकि इसका प्रयोग करने से शरीर के सभी रागों में लाभ पहुंचता है और शरीर का कायाकल्प होता है।
इस आसन को करने से ग्रन्थियों मे रक्त की मात्रा बढ जाती है। जिससे ग्रन्थियों की कार्यक्षमता में बढ़ोतरी होकर स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
कमजोर याददास्त वाले इस आसन को लगातार 6 महीने तक अपना कर अपनी याददास्त और बुद्धी को तेज बना सकते हैं।
मिर्गी रोग से पीड़ित व्यक्ति भी इससे लाभान्वित होते हैं।
स्त्रियों की मासिक धर्म सम्बधि समस्याऐं दूर होती हैं।
बालों के झड़ने और सफेद होते बालों के लिए यह लाभदायक आसन है। सर्वांगासन से चेहरा साफ और चमकदार बनता है।
आंखों की रोशनी, निम्न रक्तचाप, पाचन-संस्थान से सम्बधि रोग, रक्त विकार और मधुमेेह जैसे रोगों में सर्वांगासन काफी लाभ देता है।
शीर्षासन से मिलने वाले लाभ भी इस आसन से मिलजाते है।
सर्वां-गासन सम्पूर्ण शरीर को व्यवस्थित करता है।
 यौनकमजोरी दूर होती है।
सर्वांगासन में सावधानियां

हाई ब्लड प्रेशर, हृदय विकार से पिडीत व्यक्ति किसी योग्य योग गुरू की देख-रेख में सर्वांगासन को कर सकते है। सर्वाइकल स्पाॅण्डिलाइटिस, स्लिप डिस्क एवं यकृत के विकारों से पिड़ित व्यक्ति सर्वांगासन न करे।

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