शास्त्रों में कहा गया है :
गीतायाः श्लोकपाठेन गोविन्दस्मृतिकिर्तानत ।
साधुदर्शनमात्रेण तीर्थकोटिफलं लभेत ।।
गीता के श्लोक के पाठ से , भगवान के स्मरण और कीर्तन से तथा आत्मतत्व में विश्रांति प्राप्त संत के दर्शनमात्र से करोड़ों तीर्थ करने का फल प्राप्त होता है ।
गीता सम्पूर्ण समस्याओं का निराकरण करनेवाला एक अद्भुत ग्रंथ है । गीता जीवनग्रंथ है, ज्ञानग्रंथ है, विजयग्रंथ है, उत्तम मनोवैज्ञानिकता का दिग्दर्शक ग्रंथ है । यह एक रचनात्मक विश्वशास्त्र है, एक कौशल्य-कलाप्रदायक शास्त्र है । गीता में श्लोक होते हुए भी यह भगवान की वाणी होने से इन्हें मंत्र तथा गहरा अर्थ छुपा होने से इन्हें सूत्र भी कहा जा सकता है । जीवन में सर्वांगीण विकास के लिए गीता ग्रंथ अद्भुत है । विश्व की 578 भाषाओं में गीता का अनुवाद हो चूका है ।इस ग्रंथ में सब देशों, जातीयों, पंथों के तमाम मनुष्यों के कल्याण की अलौकिक सामग्री भरी हुई है । विश्व में गीता हि एकमात्र ऐसा सदग्रंथ है,जिसकी जयंती मनायी जाती है ।
यदि हमें अपनी संस्कृति को जीवित रखना है, सुसंस्कारों द्वारा जन-जन में राष्ट्रीयता की भावना का संचार करना है तो गीता जयंती जैसे पर्वों-उत्सवों को सर्वत्र हर्षोल्लास के साथ मनाया जाना चाहिये।
इस प्रकार श्रीमद भगवदगीता जयंती मनायें और श्री गीताजी का प्रचार-प्रसार बढ़ाये ।
यह विश्व ईश वाटिका है, सैर कर सुख चैन से ।
मत फूल पत्ता तोड़ कुछ भी,देख केवल नैन से ।।
सब कर्म कर जगदीश हित,मत राख फल पर ध्यान रे ।
यह भक्ति है, यह योग है, यही कहाता गीता ज्ञान रे ।।
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