रविवार, 3 दिसंबर 2017

युगलवंदना

श्रीराघवं दशरथात्मजमप्रमेयं  सीतापतिं रघुकुलान्वयरत्नदीपम् |
आजानुबाहुमरविन्ददलायताक्षं  रामं निशाचरविनाशकरं नमामि ||
वैदेहीसहितं सुरद्रुमतले हैमे महामण्डपे  मध्ये पुष्पक आसने मणिमये वीरासने संस्थितम् |
अग्रे वाचयति प्रभञ्जनसुते तत्त्वं मुनीन्द्रैः परं व्याख्यातं भरतादिभिः परिवृतं रामं भजे श्यामलम् |

मंगल भवन अमंगल हारी| द्रबहु सुदसरथ अजिर बिहारी |
दीनदयाल बिरिदु सम्भारी ! हरहु नाथ मम संकट भारी !!

राम सिया राम सिया राम जय जय राम!
राम सिया राम सिया राम जय जय राम!

सीता माता की जय !
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नमामि चन्द्रनिलयां सीतां चन्द्रनिभाननां ॥
आल्हादरूपिणीम् सिद्धिं शिवाम् शिवकरीं सतीम् ॥
नमामि विश्वजननीम् रामचन्द्रेष्टवल्लभां ॥
सीतां सर्वानवद्यान्गीम् भजामि सततं हृदा ॥

जनकसुता जग जननि जानकी। अतिसय प्रिय करुना निधान की॥
ताके जुग पद कमल मनावउँ। जासु कृपाँ निरमल मति पावउँ॥

मंगल भवन अमंगल हारी| द्रबहु सुदसरथ अजिर बिहारी |
दीनदयाल बिरिदु सम्भारी ! हरहु नाथ मम संकट भारी !!

राम सिया राम सिया राम जय जय राम!
राम सिया राम सिया राम जय जय राम!

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