महाज्ञानी महापंडित रावण में बुराई ही क्यों ढूंढ़ी जाती है समझ नही आता।की लोग उसे क्यों नही समझना चाहते।
जबकि महापंडित रावण दुनिया के प्रथम समाज बादी समशत वेदों का ज्ञाता सारी गुप्त विद्या तंत्र मन्त्र ओषधि वर्तमान भुत भविष्य का ज्ञाता त्रिकाल दर्शी भगवान् भोले के शिष्य और नाथ सिद्धो में से एक महा प्रतापी तो थे ही साथ ही उन्होंने संसार की हर तरह की निधि और ज्ञान धारण करने के कारण जब ये महसुस किया की अब उनको या उनके वंश को कोई समाप्त नही कर सकता तो उन्होंने ही अपने और अपने कुल के उद्धार हेतु श्री हरी को विवश किया धरती पर जन्म लेने के लिए क्योकि उसे मालुम था की ऐसा नही किया गया तो प्रकति का नियम बिगड़ जाएगा और कोई भी ज्ञानी पंडित इतना बड़ा इतिहास द्रोही कार्य करके अपने को इतिहास में कलंकित नही कर सकता था ।अस्तु भगवान के हाथो अपने कुल के सभी महारथियों को मोक्ष दिला कर अंत में खुद भी प्रभु के हाथो मोक्ष प्राप्त किया । रावण इतना शक्तिशाली था कि वो अपना भविष्य खुद लिखता था वो अपने हिसाब से ग्रह नक्षत्रों को रखता था । रावण परम् सिद्ध था इसलिए उनको नाथ सम्प्रदाय के 84 सिद्ध महात्मो में इनका नाम है नाथ सम्प्रदाय में इनका नाम लंकनाथ है । रावण इतना ज्ञानी था कि जब रावण का अंतिम समय चल रहा था तब भगवान श्रीराम जी ने लक्ष्मण जी को उससे ज्ञान प्राप्त करने को कहा था ।
किन्तु हमारे समाज के ठेके दारो ने अपनी पेट पूजा के लिए जातिवाद का जो विष वृक्ष लगा रखा है उसको सीचने के लिए रावण जेसे महापराक्रमी जिसके पराक्रम के खुद राम कायल हो गए उसको समाज के एक तुक्ष रूप में पेश किया जिस से उनके स्वार्थ की सिद्धि होती रहे । रावण को आज जलाने वाले रावण के अंश मात्र भी नही है तो वो किस कारण उसका हर साल पुतला जलाते है । याद रहे श्रीराम जी ने जब लंका विजय प्राप्त की थी तब भी उसका पुतला नही जलाया गया था ये लोगो ने अपनी तरफ से गलत परम्परा स्थापित करदी है जो नर्क के दरवाजे पर खड़ा कर रही है । रावण को समझने के लिए शायद जन्म कम पड़ सकता है ।
जबकि महापंडित रावण दुनिया के प्रथम समाज बादी समशत वेदों का ज्ञाता सारी गुप्त विद्या तंत्र मन्त्र ओषधि वर्तमान भुत भविष्य का ज्ञाता त्रिकाल दर्शी भगवान् भोले के शिष्य और नाथ सिद्धो में से एक महा प्रतापी तो थे ही साथ ही उन्होंने संसार की हर तरह की निधि और ज्ञान धारण करने के कारण जब ये महसुस किया की अब उनको या उनके वंश को कोई समाप्त नही कर सकता तो उन्होंने ही अपने और अपने कुल के उद्धार हेतु श्री हरी को विवश किया धरती पर जन्म लेने के लिए क्योकि उसे मालुम था की ऐसा नही किया गया तो प्रकति का नियम बिगड़ जाएगा और कोई भी ज्ञानी पंडित इतना बड़ा इतिहास द्रोही कार्य करके अपने को इतिहास में कलंकित नही कर सकता था ।अस्तु भगवान के हाथो अपने कुल के सभी महारथियों को मोक्ष दिला कर अंत में खुद भी प्रभु के हाथो मोक्ष प्राप्त किया । रावण इतना शक्तिशाली था कि वो अपना भविष्य खुद लिखता था वो अपने हिसाब से ग्रह नक्षत्रों को रखता था । रावण परम् सिद्ध था इसलिए उनको नाथ सम्प्रदाय के 84 सिद्ध महात्मो में इनका नाम है नाथ सम्प्रदाय में इनका नाम लंकनाथ है । रावण इतना ज्ञानी था कि जब रावण का अंतिम समय चल रहा था तब भगवान श्रीराम जी ने लक्ष्मण जी को उससे ज्ञान प्राप्त करने को कहा था ।
किन्तु हमारे समाज के ठेके दारो ने अपनी पेट पूजा के लिए जातिवाद का जो विष वृक्ष लगा रखा है उसको सीचने के लिए रावण जेसे महापराक्रमी जिसके पराक्रम के खुद राम कायल हो गए उसको समाज के एक तुक्ष रूप में पेश किया जिस से उनके स्वार्थ की सिद्धि होती रहे । रावण को आज जलाने वाले रावण के अंश मात्र भी नही है तो वो किस कारण उसका हर साल पुतला जलाते है । याद रहे श्रीराम जी ने जब लंका विजय प्राप्त की थी तब भी उसका पुतला नही जलाया गया था ये लोगो ने अपनी तरफ से गलत परम्परा स्थापित करदी है जो नर्क के दरवाजे पर खड़ा कर रही है । रावण को समझने के लिए शायद जन्म कम पड़ सकता है ।
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