सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

सनातन धर्म में सफलता के रहस्य

गरुड़ पुराण में छुपे हैं सफलता के कई रहस्य, जिससे कोई बुलंदियों को पा सकता है। इसमें वर्णित एक श्लोक के अनुसार व्यक्ति अगर इन 6 चीजों की पूजा करे तो वह सबकुछ पा सकता है।

विष्णुरेकादशी गंगा तुलसीविप्रधेवनः।
असारे दुर्गसंसारे षट्पदी मुक्तिदायिनी।।

1. भगवान विष्णु
गरुड़ पुराण के बताता है कि भगवान विष्णु अपने भक्तों के दुखों को खत्म करके उसे सुख और शांति देते हैं। इसलिए भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करनी चाहिए। इसके लिए स्नान आदि कर खुद को पहले शुद्ध कर लें।

2. एकादशी-व्रत
एकादशी व्रत को ग्रंथों और पुराणों में श्रेष्ठ बताया गया है। इनके अनुसार जो व्यक्ति एकादशी का व्रत रखता है। उसे इसका निश्चित लाभ मिलता है। ध्यान दे की इस दिन जुआ खेलना शराब पीना आदी न करें। यह काम एकादशी के दिन नहिं करना चाहिए।
3. गंगा नदी
सभी नदियों में श्रेष्ठ श्री गंगा जी को देवी माना गया है। इसलिए इनकी पूजा करना चाहिए। किसी रुप में इनका अपमान आपको भारी पड़ सकता है। ये सफलता की जननी हैं।

4. तुलसी
तुलसी त्याग की प्रतिक हैं। इन्हें अपने घर में स्थान देने तथा जल देने से अवरुद्ध विकास भी खुल जाते हैं। इन्हे भगवान के प्रशाद में सेवन करने से सारे विकार दूर होते हैं। विष्णु जी की पूजा के पश्चात इनकी पुजा करने से बहुत फल मिलता है।
5. पंडित या ज्ञानी
योग्य ज्ञानी मनुष्यों का हमेशा सम्मान करना चाहिए। इनका मजाक उडाना सर्वथा अनुचित है। जो मनुष्य ज्ञानी लोगों का सम्मन करता है। वह स्वत:  सफलता की सीढ़ायां चढ़ जाता है।

6. गाय
गाय को हिन्दू धर्म में सबसे पूजनीय माना गया है। गाय में सभी देवता निवाश करते हैं। जो मनुष्य गाय को पूजता है। उसकी  सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

पिशाच भाष्य

पिशाच भाष्य  पिशाच के द्वारा लिखे गए भाष्य को पिशाच भाष्य कहते है , अब यह पिशाच है कौन ? तो यह पिशाच है हनुमानजी तो हनुमानजी कैसे हो गये पिशाच ? जबकि भुत पिशाच निकट नहीं आवे ...तो भीमसेन को जो वरदान दिया था हनुमानजी ने महाभारत के अनुसार और भगवान् राम ही कृष्ण बनकर आए थे तो अर्जुन के ध्वज पर हनुमानजी का चित्र था वहाँ से किलकारी भी मारते थे हनुमानजी कपि ध्वज कहा गया है या नहीं और भगवान् वहां सारथि का काम कर रहे थे तब गीता भगवान् ने सुना दी तो हनुमानजी ने कहा महाराज आपकी कृपा से मैंने भी गीता सुन ली भगवान् ने कहा कहाँ पर बैठकर सुनी तो कहा ऊपर ध्वज पर बैठकर तो वक्ता नीचे श्रोता ऊपर कहा - जा पिशाच हो जा हनुमानजी ने कहा लोग तो मेरा नाम लेकर भुत पिशाच को भगाते है आपने मुझे ही पिशाच होने का शाप दे दिया भगवान् ने कहा - तूने भूल की ऊपर बैठकर गीता सुनी अब इस पर जब तू भाष्य लिखेगा तो पिशाच योनी से मुक्त हो जाएगा तो हमलोगों की परंपरा में जो आठ टिकाए है संस्कृत में उनमे एक पिशाच भाष्य भी है !

मनुष्य को किस किस अवस्थाओं में भगवान विष्णु को किस किस नाम से स्मरण करना चाहिए।?

 मनुष्य को किस किस अवस्थाओं में भगवान विष्णु को किस किस नाम से स्मरण करना चाहिए। 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ भगवान विष्णु के 16 नामों का एक छोटा श्लोक प्रस्तुत है। औषधे चिंतयते विष्णुं, भोजन च जनार्दनम। शयने पद्मनाभं च विवाहे च प्रजापतिं ॥ युद्धे चक्रधरं देवं प्रवासे च त्रिविक्रमं। नारायणं तनु त्यागे श्रीधरं प्रिय संगमे ॥ दुःस्वप्ने स्मर गोविन्दं संकटे मधुसूदनम् । कानने नारसिंहं च पावके जलशायिनाम ॥ जल मध्ये वराहं च पर्वते रघुनन्दनम् । गमने वामनं चैव सर्व कार्येषु माधवम् ॥ षोडश एतानि नामानि प्रातरुत्थाय य: पठेत ।  सर्व पाप विनिर्मुक्ते, विष्णुलोके महियते ॥ (1) औषधि लेते समय विष्णु (2) भोजन के समय - जनार्दन (3) शयन करते समय - पद्मनाभ   (4) विवाह के समय - प्रजापति (5) युद्ध के समय चक्रधर (6) यात्रा के समय त्रिविक्रम (7) शरीर त्यागते समय - नारायण (8) पत्नी के साथ - श्रीधर (9) नींद में बुरे स्वप्न आते समय - गोविंद  (10) संकट के समय - मधुसूदन  (11) जंगल में संकट के समय - नृसिंह (12) अग्नि के संकट के समय जलाशयी  (13) जल में संकट के समय - वाराह (14) पहाड़ पर ...

कार्तिक माहात्म्य (स्कनदपुराण के अनुसार)

 *कार्तिक माहात्म्य (स्कनदपुराण के अनुसार) अध्याय – ०३:--* *(कार्तिक व्रत एवं नियम)* *(१) ब्रह्मा जी कहते हैं - व्रत करने वाले पुरुष को उचित है कि वह सदा एक पहर रात बाकी रहते ही सोकर उठ जाय।*  *(२) फिर नाना प्रकार के स्तोत्रों द्वारा भगवान् विष्णु की स्तुति करके दिन के कार्य का विचार करे।*  *(३) गाँव से नैर्ऋत्य कोण में जाकर विधिपूर्वक मल-मूत्र का त्याग करे। यज्ञोपवीत को दाहिने कान पर रखकर उत्तराभिमुख होकर बैठे।*  *(४) पृथ्वी पर तिनका बिछा दे और अपने मस्तक को वस्त्र से भलीभाँति ढक ले,*  *(५) मुख पर भी वस्त्र लपेट ले, अकेला रहे तथा साथ जल से भरा हुआ पात्र रखे।*  *(६) इस प्रकार दिन में मल-मूत्र का त्याग करे।*  *(७) यदि रात में करना हो तो दक्षिण दिशा की ओर मुँह करके बैठे।*  *(८) मलत्याग के पश्चात् गुदा में पाँच (५) या सात (७) बार मिट्टी लगाकर धोवे, बायें हाथ में दस (१०) बार मिट्टी लगावे, फिर दोनों हाथों में सात (७) बार और दोनों पैरों में तीन (३) बार मिट्टी लगानी चाहिये। - यह गृहस्थ के लिये शौच का नियम बताया गया है।*  *(९) ब्रह्मचारी के लिये, इसस...