रविवार, 9 जुलाई 2017

मधुराष्टकम्

||मधुराष्टकम्||

भगवान श्रीकृष्ण के 'मधुराष्टकं' का गान उत्सव के आनंद को बढ़ाता है, साथ ही जीवन के सभी तनावों को दूर कर सुख और आनंद देता है। जब दिल और दिमाग सकारात्मक ऊर्जा से भरा हो तो यह तय है कि कोई भी इंसान किस्मत को संवार सकता है।

अधरम मधुरम वदनम मधुरमनयनम मधुरम हसितम मधुरम।
हरदयम मधुरम गमनम मधुरममधुराधिपतेर अखिलम मधुरम॥1॥
वचनं मधुरं, चरितं मधुरं, वसनं मधुरं, वलितं मधुरम् ।
चलितं मधुरं, भ्रमितं मधुरं, मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥2॥

वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः, पाणिर्मधुरः, पादौ मधुरौ ।
नृत्यं मधुरं, सख्यं मधुरं, मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥3॥
गीतं मधुरं, पीतं मधुरं, भुक्तं मधुरं, सुप्तं मधुरम् ।
रूपं मधुरं, तिलकं मधुरं, मधुरधिपतेरखिलं मधुरम् ॥4॥

करणं मधुरं, तरणं मधुरं, हरणं मधुरं, रमणं मधुरम् ।
वमितं मधुरं, शमितं मधुरं, मधुरधिपतेरखिलं मधुरम् ॥5॥
गुञ्जा मधुरा, माला मधुरा, यमुना मधुरा, वीची मधुरा ।
सलिलं मधुरं, कमलं मधुरं, मधुरधिपतेरखिलं मधुरम् ॥6॥

गोपी मधुरा, लीला मधुरा, युक्तं मधुरं, मुक्तं मधुरम् ।
दृष्टं मधुरं, शिष्टं मधुरं, मधुरधिपतेरखिलं मधुरम् ॥7॥
गोपा मधुरा, गावो मधुरा, यष्टिर्मधुरा, सृष्टिर्मधुरा।
दलितं मधुरं, फलितं मधुरं, मधुरधिपतेरखिलं मधुरम् ॥8॥॥
इति श्रीमद्वल्लभाचार्यविरचितं मधुराष्टकं सम्पूर्णम् ॥


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