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Glorification of Self-Realization

Glorification of Self-Realization

Janaka said:
4.1
Surely one who knows Self,
though he plays the game of life,
differs greatly from the world’s
bewildered burdened beasts.
4.2
Truly the yogi feels no elation,
though he abides in the exalted state
yearned for by Indra and all the
discontented gods.
4.3
Surely one who knows That
is not touched by virtue or vice,
just as space is not touched by smoke,
though it seems to be.
4.4
Who can prevent the great soul,
who knows the universe as Self,
from living life as it comes?
4.5
Of the four kinds of beings,
from Brahma to a blade of grass,
only the sage can renounce
aversion and desire.
4.6
Rare is he who knows himself
as One with no other—
the Lord of the Universe.
He acts as he knows
and is never afraid.

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मनुष्य को किस किस अवस्थाओं में भगवान विष्णु को किस किस नाम से स्मरण करना चाहिए।?

 मनुष्य को किस किस अवस्थाओं में भगवान विष्णु को किस किस नाम से स्मरण करना चाहिए। 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ भगवान विष्णु के 16 नामों का एक छोटा श्लोक प्रस्तुत है। औषधे चिंतयते विष्णुं, भोजन च जनार्दनम। शयने पद्मनाभं च विवाहे च प्रजापतिं ॥ युद्धे चक्रधरं देवं प्रवासे च त्रिविक्रमं। नारायणं तनु त्यागे श्रीधरं प्रिय संगमे ॥ दुःस्वप्ने स्मर गोविन्दं संकटे मधुसूदनम् । कानने नारसिंहं च पावके जलशायिनाम ॥ जल मध्ये वराहं च पर्वते रघुनन्दनम् । गमने वामनं चैव सर्व कार्येषु माधवम् ॥ षोडश एतानि नामानि प्रातरुत्थाय य: पठेत ।  सर्व पाप विनिर्मुक्ते, विष्णुलोके महियते ॥ (1) औषधि लेते समय विष्णु (2) भोजन के समय - जनार्दन (3) शयन करते समय - पद्मनाभ   (4) विवाह के समय - प्रजापति (5) युद्ध के समय चक्रधर (6) यात्रा के समय त्रिविक्रम (7) शरीर त्यागते समय - नारायण (8) पत्नी के साथ - श्रीधर (9) नींद में बुरे स्वप्न आते समय - गोविंद  (10) संकट के समय - मधुसूदन  (11) जंगल में संकट के समय - नृसिंह (12) अग्नि के संकट के समय जलाशयी  (13) जल में संकट के समय - वाराह (14) पहाड़ पर ...

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