ऐसा भी कहा जाता है
कि यशोदा जी बाल कृष्ण को एक दिन में अष्ट पहर भोजन
कराती थी, अर्थात बाल कृष्ण आठ बार भोजन करते थे.
जब
इंद्र के प्रकोप से सारे व्रज को बचाने के लिए भगवान
श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाया था,
तब लगातार
सात दिन तक भगवान ने अन्न जल ग्रहण नहीं किया.
आठवे दिन जब भगवान ने देखा कि अब इंद्र की वर्षा बंद
हो गई है सभी व्रजवासियो को गोवर्धन पर्वत से बाहर
निकल जाने को कहा,
तब दिन में आठ प्रहर भोजन करने
वाले व्रज के नंदलाल कन्हैया का लगातार सात दिन तक
भूखा रहना उनके व्रज वासियों और मईया यशोदा के लिए
बड़ा कष्टप्रद हुआ.
भगवान के प्रति अपनी अन्न्य
श्रद्धा भक्ति दिखाते हुए सभी व्रजवासियो सहित
यशोदा जी ने 7 दिन और अष्ट पहर के हिसाब से 7X8=
56 व्यंजनो का भोग बाल कृष्ण को लगाया.
कि यशोदा जी बाल कृष्ण को एक दिन में अष्ट पहर भोजन
कराती थी, अर्थात बाल कृष्ण आठ बार भोजन करते थे.
जब
इंद्र के प्रकोप से सारे व्रज को बचाने के लिए भगवान
श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाया था,
तब लगातार
सात दिन तक भगवान ने अन्न जल ग्रहण नहीं किया.
आठवे दिन जब भगवान ने देखा कि अब इंद्र की वर्षा बंद
हो गई है सभी व्रजवासियो को गोवर्धन पर्वत से बाहर
निकल जाने को कहा,
तब दिन में आठ प्रहर भोजन करने
वाले व्रज के नंदलाल कन्हैया का लगातार सात दिन तक
भूखा रहना उनके व्रज वासियों और मईया यशोदा के लिए
बड़ा कष्टप्रद हुआ.
भगवान के प्रति अपनी अन्न्य
श्रद्धा भक्ति दिखाते हुए सभी व्रजवासियो सहित
यशोदा जी ने 7 दिन और अष्ट पहर के हिसाब से 7X8=
56 व्यंजनो का भोग बाल कृष्ण को लगाया.
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