एक बालक अपने माँ-बाप की खूब सेवा किया करता था उसके दोस्त उससे भी कहते कि अगर इतनी सेवा तुमने भगवान की की होती तो तुम्हे भगवान मिल जाते ! लेकिन इन सब चीजो से अनजान वो अपने माता पिता की सेवा करता रहा ! एक दिन उसकी माँ बाप की सेवा-भक्ति से खुश होकर भगवान ( मृत्युलोक ) धरती पर प्रकट हो गये ! उस वक्त वो बालक अपनी माँ के पाँव दबा रहा था ! भगवान दरवाजे के बाहर से बोले- दरवाजा खोलो बेटा-- मैं तुम्हारी सेवा से प्रसन्न होकर तुम्हे वरदान देने आया हूँ ! बालक ने कहा - इंतजार करो प्रभु मैं माँ की सेवा मे लगा हूँ ! भगवान बोले - देखो मैं वापस चला जाऊँगा! बालक ने कहा - आप जा सकते है भगवान मैं सेवा बीच मे नही छोड़ सकता ! कुछ देर बाद उसने दरवाजा खोला तो क्या देखता है भगवान बाहर खड़े थे ! भगवान बोले - लोग मुझे पाने के लिये कठोर तपस्या करते है पर मैं तुम्हे सहज ही मे मिल गया , तुमने मुझ से प्रतीक्षा करवाई ! बालक ने आर्त्त भाव से व्याकुल होकर जवाब दिया - हे ईश्वर जिस माँ बाप की सेवा ने आपको मेरे पास आने को मजबूर कर दिया उन माँ बाप की सेवा बीच मे छोड़कर मैं दरवाजा खोलने कैसे आता !
"यही इस जीवन का सार है !" जीवन मे माता पिता से बढ़कर कुछ नही है ! वे अपना सुख त्याग कर हमारा भविष्य निर्माण करते है ! वे हमारी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति करने की कोशिश में लगे रहते है ! वे हमारा लालन पालन में हर तरीके के बलिदान के लिए तैयार रहते है !अपने भविष्य की चिंता न कर हमारा भविष्य के बारे में चिंता करते है ! इसके बदले हमारा भी ये कर्तव्य बनता है कि हम कभी उन्हे दुःख ना दे ! उनकी आँखो मे आँसू कभी ना आये चाहे परिस्थिति जो भी हो प्रयत्न कीजियेगा!
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