जिसने एकादशी के दिन तुलसी की मंजरियों से
श्रीकेशव का पूजन कर लिया है,
उसके जन्मभर का पाप निश्चय ही नष्ट हो जाते है ।
या दृष्टा निखिलाघसंघशमनी स्पृष्टा वपुष्पावनी
रोगाणामभिवन्दिता निरसनी सिक्तान्तकत्रासिनी ।
प्रत्यासत्तिविधायिनी भगवत: कृष्णस्य संरोपिता
न्यस्ता तच्चरणे विमुक्तिफलदा तस्यै तुलस्यै नम: ॥
‘जो दर्शन करने पर सारे पापसमुदाय का नाश कर देती है,
स्पर्श करने पर शरीर को पवित्र बनाती है,
प्रणाम करने पर रोगों का निवारण करती है,
जल से सींचने पर यमराज को भी भय पहुँचाती है,
आरोपित करने पर भगवान श्रीकृष्ण के समीप ले जाती है
और भगवान के चरणों मे चढ़ाने पर मोक्षरुपी फल प्रदान करती है,
उस तुलसी देवी को नमस्कार है ।’
जो मनुष्य एकादशी को दिन रात दीपदान करता है, उसके पुण्य की संख्या चित्रगुप्त भी नहीं जानते । एकादशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण के सम्मुख जिसका दीपक जलता है, उसके पितर स्वर्गलोक में स्थित होकर अमृतपान से तृप्त होते हैं । घी या तिल के तेल से भगवान के सामने दीपक जलाकर मनुष्य देह त्याग के पश्चात् करोड़ो दीपकों से पूजित हो स्वर्गलोक में जाता है ।’
श्रीकेशव का पूजन कर लिया है,
उसके जन्मभर का पाप निश्चय ही नष्ट हो जाते है ।
या दृष्टा निखिलाघसंघशमनी स्पृष्टा वपुष्पावनी
रोगाणामभिवन्दिता निरसनी सिक्तान्तकत्रासिनी ।
प्रत्यासत्तिविधायिनी भगवत: कृष्णस्य संरोपिता
न्यस्ता तच्चरणे विमुक्तिफलदा तस्यै तुलस्यै नम: ॥
‘जो दर्शन करने पर सारे पापसमुदाय का नाश कर देती है,
स्पर्श करने पर शरीर को पवित्र बनाती है,
प्रणाम करने पर रोगों का निवारण करती है,
जल से सींचने पर यमराज को भी भय पहुँचाती है,
आरोपित करने पर भगवान श्रीकृष्ण के समीप ले जाती है
और भगवान के चरणों मे चढ़ाने पर मोक्षरुपी फल प्रदान करती है,
उस तुलसी देवी को नमस्कार है ।’
जो मनुष्य एकादशी को दिन रात दीपदान करता है, उसके पुण्य की संख्या चित्रगुप्त भी नहीं जानते । एकादशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण के सम्मुख जिसका दीपक जलता है, उसके पितर स्वर्गलोक में स्थित होकर अमृतपान से तृप्त होते हैं । घी या तिल के तेल से भगवान के सामने दीपक जलाकर मनुष्य देह त्याग के पश्चात् करोड़ो दीपकों से पूजित हो स्वर्गलोक में जाता है ।’
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