||श्री राधा स्तुति||

||श्री राधा स्तुति||

त्वं देवी जगतां माता विष्णुमाया सनातनी, .
कृष्णप्राणाधिदेवि च कृष्णप्राणाधिका शुभा ||1||
कृष्णप्रेममयी शक्तिः कृष्णसौभाग्यरूपिणी .
कृष्णभक्तिप्रदे राधे नमस्ते मङ्गलप्रदे .. ||2||

||कृष्णाश्रय स्तुति||

विवेकधैर्यभक्त्यादिरहितस्य विशेषतः।
पापासक्तस्य दीनस्य कृष्ण एव गतिर्मम॥
सर्वसामर्थ्यसहितः सर्वत्रैवाखिलार्थकृत्।
शरणस्थमुद्धारं कृष्णं विज्ञापयाम्यहम्॥

भावार्थ :
हे प्रभु! मुझमें सत्य को जानने की सामर्थ्य नहीं है, धैर्य धारण करने की शक्ति नहीं है, आप की भक्ति आदि से रहित हूँ और विशेष रूप से पाप में आसक्त मन वाले मुझ दीनहीन के लिए केवल आप भगवान श्रीकृष्ण ही मेरे आश्रय हों।

हे प्रभु! आप ही सभी प्रकार से सामर्थ्यवान हैं, आप ही सभी प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाले हैं और आप ही शरण में आये हुए जीवों का उद्धार करने वाले हैं इसलिए मैं भगवान श्रीकृष्ण की वंदना करता हूँ।

||राधा कृष्ण स्तुति||

त्वमेव माता च पिता त्वमेव,
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।
त्वमेव विद्या च द्रविणम त्वमेव,
त्वमेव सर्वमम देव देवः।।

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