भगवान विष्णु के रोम से उत्पन्न हुई - दूब
श्रावण शुक्ला सप्तमी को 'दूर्वा-सप्तमी' या 'दूबरी सातें' कहा जाता है. दूब को देवी का रुप माना गया है तथा इसकी पूजा से सुख-सम्पत्ति-संतान की प्राप्ति होती है। दूब गणेश को प्रिय है तथा गणेशजी की पूजा में दूब का होना अत्यंत आवश्यक माना जाता है.दूव को, दूर्वा,कान्ड़ात भी कहते है.
ॐ कान्डात् कान्डात् परोहंति परुषः परुषः
परि एवानो दूर्वे प्रतनु सहस्रेण शतेन च
दूब के उत्पन्न होने की कथा
भविष्य पुराण की कथा है कि-"जब देवताओं ने 'क्षीरसागर-मंथन' किया, उस समय विष्णु भगवान ने अपनी पीठ पर 'मंदराचल' को धारण किया, उसकी रगड़ से भगवान के जो रोम उखड़कर जल में गिरे, उनसे दूब उत्पन्न हुई, उस दूब पर देवताओं ने 'अमृत के कुंभ' रखे, उस अमृत के स्पर्श से यह अजर-अमर हो गयी."
विष्णवादिसर्वदेवानां दूर्वे त्वं प्रीतिदा यदा।
क्षीरसागर संभूते वंशवृद्धिकारी भव।।
अर्थात -हे दुर्वा ! तुम्हारा जन्म क्षीरसागर से हुआ है, तुम विष्णु आदि सब देवताओं को प्रिय हो.इस प्रकार हमने 'दूब' को भी समुद्र-कन्या बना दिया.दूब को अजर-अमर माना गया है। दूब कितनी ही सूख जाए, एक बूँद जल से ही हरी हो जाती है। दूब उर्वरता की प्रतीक है तथा पुत्र-जन्म के उत्सव में 'नाई' परिजनों के कान पर दूब लगाकर दक्षिणा लेता है.
दूब का औषधीय महत्व -
इसके औषधीय गुणों के अनुसार दूब त्रिदोष को हरने वाली एक ऐसी औषधि है जो वात कफ पित्त के समस्त विकारों को नष्ट करते हुए वात-कफ और पित्त को सम करती है. दूब सेवन के साथ यदि कपाल भाति की क्रिया का नियमित यौगिक अभ्यास किया जाये तो शरीर के भीतर के त्रिदोष को नियंत्रित कर देता है, यह दाह शामक,रक्तदोष, मूर्छा, अतिसार, अर्श, रक्त पित्त, प्रदर, गर्भस्राव, गर्भपात, यौन रोगों, मूत्रकृच्छ इत्यादि में विशेष लाभकारी है.
यह कान्तिवर्धक, रक्त स्तंभक, उदर रोग, पीलिया इत्यादि में अपना चमत्कारी प्रभाव दिखाता है. श्वेत दूर्वा विशेषतः वमन, कफ, पित्त, दाह, आमातिसार, रक्त पित्त, एवं कास आदि विकारों में विशेष रूप से प्रयोजनीय है. सेवन की दृष्टि से दूब की जड़ का 2 चम्मच पेस्ट एक कप पानी में मिलाकर पीना चाहिए.
वैज्ञानिकों के अनुसार दूब का विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है कि इसमें 28.17 प्रतिशत रेशा, 10.47 प्रतिशत प्रोटीन और 11.75 प्रतिशत राख होती है. इसकी राख में थोड़ी सी मात्रा में फास्फोरस, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सोडियम और पोटैशियम भी पाया जाता है. प्रयोगों से पता चला है कि दूब एक ‘शक्तिवर्द्धक दवाई है.
श्रावण शुक्ला सप्तमी को 'दूर्वा-सप्तमी' या 'दूबरी सातें' कहा जाता है. दूब को देवी का रुप माना गया है तथा इसकी पूजा से सुख-सम्पत्ति-संतान की प्राप्ति होती है। दूब गणेश को प्रिय है तथा गणेशजी की पूजा में दूब का होना अत्यंत आवश्यक माना जाता है.दूव को, दूर्वा,कान्ड़ात भी कहते है.
ॐ कान्डात् कान्डात् परोहंति परुषः परुषः
परि एवानो दूर्वे प्रतनु सहस्रेण शतेन च
दूब के उत्पन्न होने की कथा
भविष्य पुराण की कथा है कि-"जब देवताओं ने 'क्षीरसागर-मंथन' किया, उस समय विष्णु भगवान ने अपनी पीठ पर 'मंदराचल' को धारण किया, उसकी रगड़ से भगवान के जो रोम उखड़कर जल में गिरे, उनसे दूब उत्पन्न हुई, उस दूब पर देवताओं ने 'अमृत के कुंभ' रखे, उस अमृत के स्पर्श से यह अजर-अमर हो गयी."
विष्णवादिसर्वदेवानां दूर्वे त्वं प्रीतिदा यदा।
क्षीरसागर संभूते वंशवृद्धिकारी भव।।
अर्थात -हे दुर्वा ! तुम्हारा जन्म क्षीरसागर से हुआ है, तुम विष्णु आदि सब देवताओं को प्रिय हो.इस प्रकार हमने 'दूब' को भी समुद्र-कन्या बना दिया.दूब को अजर-अमर माना गया है। दूब कितनी ही सूख जाए, एक बूँद जल से ही हरी हो जाती है। दूब उर्वरता की प्रतीक है तथा पुत्र-जन्म के उत्सव में 'नाई' परिजनों के कान पर दूब लगाकर दक्षिणा लेता है.
दूब का औषधीय महत्व -
इसके औषधीय गुणों के अनुसार दूब त्रिदोष को हरने वाली एक ऐसी औषधि है जो वात कफ पित्त के समस्त विकारों को नष्ट करते हुए वात-कफ और पित्त को सम करती है. दूब सेवन के साथ यदि कपाल भाति की क्रिया का नियमित यौगिक अभ्यास किया जाये तो शरीर के भीतर के त्रिदोष को नियंत्रित कर देता है, यह दाह शामक,रक्तदोष, मूर्छा, अतिसार, अर्श, रक्त पित्त, प्रदर, गर्भस्राव, गर्भपात, यौन रोगों, मूत्रकृच्छ इत्यादि में विशेष लाभकारी है.
यह कान्तिवर्धक, रक्त स्तंभक, उदर रोग, पीलिया इत्यादि में अपना चमत्कारी प्रभाव दिखाता है. श्वेत दूर्वा विशेषतः वमन, कफ, पित्त, दाह, आमातिसार, रक्त पित्त, एवं कास आदि विकारों में विशेष रूप से प्रयोजनीय है. सेवन की दृष्टि से दूब की जड़ का 2 चम्मच पेस्ट एक कप पानी में मिलाकर पीना चाहिए.
वैज्ञानिकों के अनुसार दूब का विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है कि इसमें 28.17 प्रतिशत रेशा, 10.47 प्रतिशत प्रोटीन और 11.75 प्रतिशत राख होती है. इसकी राख में थोड़ी सी मात्रा में फास्फोरस, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सोडियम और पोटैशियम भी पाया जाता है. प्रयोगों से पता चला है कि दूब एक ‘शक्तिवर्द्धक दवाई है.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
If u have any query let me know.