अंग फड़कने से शकुन अपशकुन
मानव शरीर के विभिन्न अंगों में कभी कभी फड़क होती हैं।
अंग फड़क्ने का कारण मानव शरीर में उतपन्न होने वाले वायु-विकार आदि के कारण शरीर कि माशपेशी में रह रहकर थोडा उभरना और दबना बताया जाता हैं।
हमारे भारत में अंगो के फड़कने के आधार पर शुभ-अशुभ ज्ञात करने की धारणा सालो से प्रचलित रही हैं।
प्रायः पुरुष का दाहिना (Right) अंग और स्री का बांया (Left) अंग फड़कना शुभ माना जाता हैं।
यदि बाएं पैर की पहली और आखिरी उंगली फड़के, तो लाभ होता हैं।
यदि दाएं पैर की पहली और आखिरी उंगली फड़के तो अशुभ होता हैं।
यदि पांव की पिंडलीयां फड़कने से काम में बाधा उतपन्न होती हैं एवं यह शत्रु द्वारा परेशानी का संकेत हैं। दायां घुटना फड़के, तो अशुभ फल कि प्राप्ति और बायां फड़के, तो शुभ फल कि प्राप्ति होती हैं।
यदि बायां पैर फड़कना शुभ होता हैं, दायां पैर फड़कने से मुसीबतों का अंत होने का संकेत हैं।
यदि बाईं जांघ के फड़कने से दोस्त से सहायता मिलने का संकेत हैं।
यदि दाईं जांघ फड़कने से शत्रु शांत होने का संकेत हैं।
यदि दाएं हाथ का अंगूठा फड़कने से शुभ समाचार मिलने का संकेत हैं।
यदि बाएं हाथ का अंगूठा फड़कने से हानी होने का संकेत हैं।
यदि यदि मस्तक फड़के तो भूमि लाभ मिलने का संकेत हैं।
यदि यदि कंधा फड़के तो भोग-विलास में वृद्धि होने का संकेत हैं।
यदि दोनों भौंहों के मध्य भाग में फड़कन होतो सुख प्राप्ति का संकेत हैं।
यदि कपाल फड़के तो शुभ कार्य होने का संकेत हैं।
यदि आँख का फड़कना धन प्राप्ति का संकेत हैं।
यदि आँख के कोने फड़के तो आर्थिक उन्नति होने का संकेत हैं।
यदि आँखों के पास का हिस्सा फड़के तो प्रिय व्यक्ति से मिलन होने का संकेत हैं।
यदि हाथों का फड़कना उत्तम कार्य द्वारा धन प्राप्ति का संकेत हैं।
यदि वक्षःस्थल का फड़कना विजय प्राप्ति का संकेत हैं।
यदि हृदय फड़के तो इष्ट सिद्धी प्राप्त होने का संकेत हैं।
यदि नाभि के फड़क्ने से स्त्री वर्ग को हानि होने का संकेत हैं।
यदि पेट का फड़कना कोष वृद्धि होने का संकेत हैं।
यदि गुदा का फड़कना वाहन सुख कि प्राप्ति का संकेत हैं।
यदि कण्ठ के फड़कने से ऐश्वर्य लाभ कि प्राप्ति का संकेत हैं।
यदि मुख के फड़कने से मित्र द्वारा लाभ होने का संकेत हैं।
यदि होठों का फड़कना प्रिय वस्तु की प्राप्ति का संकेत हैं।
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