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भगवान् द्वारा शकट भन्जन

भगवान् द्वारा शकट भन्जन

        भगवान् जब तीन मास के हो गए तो उनका करवट बदलने का अभिषेक मनाया जा रहा था।उसी दिन जन्म नक्षत्र भी था| घर में बहुत सी स्त्रियों की भीड़ लगी हुई थी। गाना बजाना हो रहा था।
उन्हीं स्त्रियों के बीच में खड़ी यशोदा जी ने अपने पुत्र का अभिषेक किया। उस समय ब्राह्मण मंत्र पढ़ कर आशीर्वाद दे रहे थे। जब यशोदा जी ने बालक को नहलाने का कार्य संपन्न कर लिया, तब यह देखकर कि मेरे लल्ला के नेत्रों में नींद आ रही है, उन्होंने धीरे से अपने पुत्र को शय्या पर सुला दिया। थोड़ी देर बाद श्यामसुन्दर ने आखें खोलीं तो वे स्तनपान के लिए रोने लगे।यशोदा जी को श्रीकृष्ण का रोना सुनाई नहीं पड़ा। तब श्रीकृष्ण रोते रोते अपने पाँव उछालने लगे। तभी एक राक्षस आया जिसका नाम उत्कच था।ऋषि के श्राप से वह देह रहित हो गया था, इस कारण किसी को दिखाई नहीं दे रहा था। उत्कच ने एक बड़ा सा छकड़ा भगवान् के पलने पर दे मारा और अपने पाँव से छकड़े को दबाने लगा।
भगवान् श्रीकृष्ण ने अपने नन्हे से कोमल चरण की एक ही ठोकर से उस छकड़े को आकाश में उछाल दिया। उस छकड़े पर बैठा उत्कच आकाश में इतना ऊंचा उछला कि एक समुद्र में जा गिरा और अपने प्राण त्याग दिए। इस प्रकार भगवान् ने उत्कच का उद्धार किया।
     इस घटना को देख कर सभी आश्चर्यचकित हो गये कि इतना बड़ा शकट (छकड़ा) अपने आप आकाश में कैसे उड़ सकता है। वहां खेलते हुए बालकों ने कहा कि लल्ला ने अपने पाँव की ठोकर से छकड़े को आकाश में उड़ाया है।परन्तु बालकों की बात पर किसी को विश्वास नहीं आया। यशोदा ने समझा कि उसके लल्ला पर कोई बहुत बड़ा ग्रह आ गया है। उसने ब्रह्मणों द्वारा उस ग्रह की शान्ति के लिए शान्ति पाठ करवाया।

उत्कच किस प्रकार देह रहित हुआ?
        उत्कच ने एक बार लोमश ऋषि के आश्रम के सभी वृक्ष अपनी देह की रगड़ से नष्ट कर दिया।तब लोमश ऋषि ने उसे श्राप दिया- अरे दुष्ट! जिस देह कि शक्ति पर घमण्ड करके तूने वृक्ष नष्ट किये हैं उस देह को अभी तू खो बैठेगा।जा देह रहित हो जा।
वह ऋषि के चरणों को पकड़कर रोने लगा और इस श्राप से मुक्ति का उपाय पूछने लगा।वह बोला हे ऋषिवर अज्ञान के कारण मुझसे यह पाप हो गया है, हे कृपा सिंधो! मुझ पर कृपा करें।
     तब लोमश ऋषि ने कहा कि मेरा यह श्राप विफल नहीं जा सकता, परन्तु तुम पर दया करके तुम्हारी मुक्ति का उपाय बताता हूँ।जब नारायण श्री कृष्ण अवतार में गोकुल में आयेंगे तब उनके बालरूप के चरण की ठोकर से तुम्हारी मुक्ति होगी।शकट भन्जन की लीला वास्तव में भगवान् द्वारा उत्कच का उद्धार करना ही था।।

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