भगवान श्री कृष्ण के कर-कमल

भगवान श्री कृष्ण के कर-कमल

श्री कृष्ण जी का दायाँ कर-कमल
श्रीकृष्ण जी के दाये कर-कमल में कुल“१७ शुभ चिन्ह”है.
“परमायु-रेखा”, “मनोहर-सौभाग्य रेखा”, “सौभाग्य-रेखा”, “पाँचो अंगुलियों के पोरो पर “पाँच शंख”, “जौ”, “चक्र”, “गदा”, “धवजा”, “तलवार”, “बरछी”, “अंकुश”, “कल्पवृक्ष”, “बाण”.
दाहिने हाथ में तर्जनी और मध्यमा अंगुलियों के संधि मूल से हथेली पर्यन्त“परमायु-रेखा”है तरजनी और अंगूठे की संधि से लेकर हथेली पर्यन्त अति मनोहर“सौभाग्य-रेखा”सुशोभित है.
कलाई से आरंभ होकर टेढ़े रूप में ऊपर जाकर जो तर्जनी और अंगूठे के संधि स्थान पर“सौभाग्य-रेखा”से जाकर मिलती है वह शुभ“भोग-रेखा”है पाँचो अंगुलियों के पोरो पर“पाँच शंख”को श्री भगवान धारण करते है.
अंगूठे के नीचे“जौ”उसके नीचे“चक्र”और चक्र के नीचे“गदा”और तर्जनी अँगुली के नीचे“धवजा”को धारण करते है मध्यमा अंगूठी के नीचे“तलवार”और अनामिका के नीचे“बरछी”है कनिष्ठा के नीचे“अंकुश”को धारण करते है.जो भक्त जन के शत्रुओ को प्रशमन करने वाला है सौभाग्य रेखा के नीचे श्री“कल्पवृक्ष”शोभित है और उसके नीचे काम–क्रोध आदि छ:शत्रुओ को नाश करने वाला“बाण”धारण करते है.
श्रीकृष्ण जी का बायाँ कर-कमल
श्रीकृष्ण जी के बाये कर-कमल में कुल“१२ शुभ चिन्ह”है.
“परमायु-रेखा”, “मनोहर-सौभाग्य  रेखा”, “सौभाग्य-रेखा”, “पाँचो अंगुलियों के पोरो पर “पाँच नंधावर्त्त”, “कमल”, “छत्र”, “हल”, “विजयात्मक कीर्ति स्तंभ”, “स्वास्तिक”, “प्रत्यंचा रहित धनुष”, “अर्धचंद्रमा”, “मछली”.
बाये हाथ में भी“परमायु-रेखा”,“सौभाग्य-रेखा”, और“भोग-रेखा”ये तीनो शुभ रेखाए है. पाँचो अंगुलियों के पोरों में“पाँच नंधावर्त्त”, अगूंठे के नीचे चित्त मोहनकारी“कमल”है और अनामिका के नीचे भक्तजनों के त्रितापों को नाश करने वाला“छत्र”है. कनिष्ठा अँगुली से लेकर कलाई तक एक दूसरे के नीचे क्रमशः श्रीकृष्ण“हल”, “युप अर्थात विजयात्मक कीर्ति स्तंभ”फिर मंगलरूप“स्वास्तिक”उसके बाद“प्रत्यंचा रहित धनुष”और उसके नीचे“अर्धचंद्रमा”है उसके नीचे“मछली”का चिन्ह है.
इस प्रकार भगवान श्री कृष्ण के कल युगल में कुल"२९ मंगल चिन्ह"है.

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