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||भगवान विष्णु का मोहिनी रूप||

||भगवान विष्णु का मोहिनी रूप||


पूर्व काल में भस्मासुर नाम का एक राक्षस हुआ करता था। उसको विश्व पर राज करना था। अपने इसी प्रयोजन को सिद्ध करने हेतु वह शिव की कठोर तपस्या करता। अंत में भोलेनाथ उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर उस के सामने प्रकट होते हैं। शिव जी उसे वरदान मांगने के लिए कहते हैं। तब भस्मासुर अमरत्व का वरदान मांगता है। अमर होने का वरदान सृष्टि के विरुद्ध होने के कारण शिव जी ने उसके इस मांग को नकार दिया। तब भस्मासुर ने अपनी मांग बदल कर यह वरदान मांगा कि मैं जिसके सिर पर हाथ रखूं वह भस्म हो जाए। शिव जी उसे ये वरदान दे देते हैं। तब भस्मासुर शिव जी को ही भस्म करने उनके पीछे दौड़ पड़ता है।

भगवान शिव उससे बच कर विष्णु की शरण में जाते हैं और उन्हें पूरी बात बताते हैं। तब भगवान विष्णु भस्मासुर का अंत करने के लिए मोहिनी रुप रचते हैं। भस्मासुर जब शिव जी को ढूंढ रहा होता है तब मोहिनी (विष्णु भगवान) उसके समीप प्रकट हो जाती है। उसकी सुंदरता को देखकर वह वहीं रुक जाता है और मोहिनी से विवाह का प्रस्ताव रखता है। मोहिनी जवाब में कहती है, कि वह सिर्फ उसी युवक से विवाह करेगी जो उसकी तरह नृत्य में प्रवीण हो। अब भस्मासुर को नृत्य आता नहीं था तो उसने इस कार्य में मोहिनी से मदद मांगी।

नृत्य सिखाते-सिखाते मोहिनी ने अपना हाथ अपने सिर पर रखा और उसको देख कर भस्मासुर शिव का वरदान भूल कर अपना हाथ अपने सिर पर रख दिया और खुद ही भस्म हो गया। इस तरह विष्णु भगवान की सहायता से भोलेनाथ की विकट समस्या का हल हो जाता है।

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