विवाह में दो व्यक्तियों के दामन बॉधे जाते है! पति -पत्नी का स्नेह ही ग्रन्धि है.! इस ग्रन्धि का छूटना कठिन है, परमात्मा की सेवा करने के लिए एक दूजे का साथ मिला. है, ऐसा सोचें तो पति -पत्नी सुखी हो सकते है.! बॉस की सात गॉठ ही वासना की सात गॉठे है.! वासना ही पुनर्जन्म कारण है.! अत: वासना को नष्ट करना है.! वासना पर विजय पाना ही सुखी होने का उपाय है.! मनुष्य, सांसारिक मोह को छोड़कर यदि परमात्मा से मोह करे तो कल्याण हो सकता है.! वासना अर्थात् आसक्ति सात प्रकार की होती है. ------
1..नारी की आसक्ति (पति पत्नी की आसक्ति )
2..पुत्र की आसक्ति (पिता -पुत्र की आसक्ति )
3..व्यवसायिक आसक्ति
4.. द्रव्य की आसक्ति.
5..कुटुंब की आसक्ति.!
6..घऱबार की आसक्ति
7...गॉव की आसक्ति.!
शास्त्र मे काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, और अविद्या. को सात गॉठ कहा गया है.! इनमें जीव बँधा हुआ है.! जिसे मुक्त करने का उपाय करना है.! बॉस वासना का रूप है., जीव इन वासनाओं मे बंधा है.! वासना से ही जीव मे जीव भाव आया है.! वह निष्काम से सकाम बना.! वासनाओं की ग्रन्थियॉ जब तक नहीं छूटती तब तक जीव भाव निर्मूल नहीं होता.!
जब हम परमात्मा की लीलाओं को श्रवण करते है तब प्रभु से प्रेम बढ़ने से आसक्ति. की ग्रन्थियॉ टूटती हैं.
1..नारी की आसक्ति (पति पत्नी की आसक्ति )
2..पुत्र की आसक्ति (पिता -पुत्र की आसक्ति )
3..व्यवसायिक आसक्ति
4.. द्रव्य की आसक्ति.
5..कुटुंब की आसक्ति.!
6..घऱबार की आसक्ति
7...गॉव की आसक्ति.!
शास्त्र मे काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, और अविद्या. को सात गॉठ कहा गया है.! इनमें जीव बँधा हुआ है.! जिसे मुक्त करने का उपाय करना है.! बॉस वासना का रूप है., जीव इन वासनाओं मे बंधा है.! वासना से ही जीव मे जीव भाव आया है.! वह निष्काम से सकाम बना.! वासनाओं की ग्रन्थियॉ जब तक नहीं छूटती तब तक जीव भाव निर्मूल नहीं होता.!
जब हम परमात्मा की लीलाओं को श्रवण करते है तब प्रभु से प्रेम बढ़ने से आसक्ति. की ग्रन्थियॉ टूटती हैं.
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