व्याघ्रपाद मुनि के एक पुत्र का नाम था उपमन्यु. उपमन्यु को पूर्वजन्म में ही सिद्धि की प्राप्ति हो गई थी. उन्हें मुनिकुमार के रूप में एक और जन्म लेना पड़ा था. उपमन्यु अपनी माता के साथ मामा के घर में रहते थे.
परिवार दरिद्रता से ग्रसित था. एक दिन उपमन्यु ने माता से पीने के लिए दूध मांगा. माता पुत्र की इच्छा पूरी करने में असमर्थ थीं. बालक की बातें सुनकर माता की हृदय पीड़ा से भर गया.
उन्होंने कुछ चावल पीसे और उसको पानी में घोलकर दूध का रूप दे दिया. वह दूध उपमन्यु को पीने को दिया. दूध पीकर उपमन्यु ने कहा- यह तो नकली दूध है. मुझसे छल कर रही हो. और वह रोने लगा.
उपमन्यु की मां ने कहा- बेटा, हम बनवासी हैं. हमारे पास दूध के लिए कोई प्रबंध भी नहीं. भगवान शिव संसार के सभी दुधारु पशुओं के स्वामी हैं. उनकी कृपा से ही दूध प्राप्त होता है.
माता की बात बालक उपमन्यु के मन में बैठ गई. उसने संसार के सुख प्राप्ति के लिए शिवजी की आराधना का प्रण किया. उपमन्यु ने आठ ईंटों का एक मंदिर बनाकर उसमें मिट्टी का शिवलिंग स्थापित किया.
शिवलिंग स्थापित करने के बाद उपमन्यु ने देवी पार्वती समेत महादेव की आराधना करने लगा. वह पंचाक्षर मंत्र का जप करते थे. उपमन्यु ने दीर्घकाल तक महादेव की तपस्या की.
बालक उपमन्यु के कठोर तप से सारा त्रिभुवन कांपने लगा. देवताओँ ने महादेव से बालक को दर्शन देने की प्रार्थना की. देवों की प्रार्थना पर महादेव उपमन्यु की परीक्षा लेने आए.
महादेव के साथ देवराज इंद्र, उनकी पत्नी शची, नंदीश्वर औऱ बहुत सारे शिवगण भी पधारे. महादेव ने इंद्र का रूप धर लिया और बालक उपमन्यु से वर मांगने को कहा. उपमन्यु ने उनसे शिव की भक्ति मांगी.
सुरेश्वररूपधारी शिव ने महादेव की निंदा शुरू कर दी. यह सुनकर उपमन्यु ने कहा- मुझे आपसे कोई वरदान नहीं चाहिए. सुरेश्वररूपधारी महादेव, शिव निंदा करते रहे. कुपित होकर उपमन्यु ने उन्हें मारने के लिए अघोरास्त्र उठा लिया.
नंदीश्वर ने अघोरास्त्र पकड़ लिया. अघोरास्त्र के विफल होने पर उपमन्यु ने अग्नि का आह्वान किया. भगवान शिव ने तुरंत वह अग्नि शांत कर दी. फिर महादेव वास्तविक रूप में प्रकट हो गए.
महादेव ने कहा- अबसे मैं तुम्हारा पिता और पार्वती तुम्हारी माता हैं. आज से तुम्हें सनातन कुमारत्व प्राप्त होगा. मैं तुम्हें दूध, दही और मधु के सहस्त्रों समुद्र के साथ अमरत्व तथा अपने गणों का अधिपति बनाता हूं.
इसके अतिरिक्त उन्होंने उपमन्यु को पाशुपत ज्ञानयोग, प्रवचन शक्ति तथा योग संबंधी ऐश्वर्य प्रदान कर हृदय से लगा लिया. वरदान पाकर उपमन्यु प्रसन्न होकर घर लौटे.
थोड़े से दूध के लिए बिलखने वाला बालक उपमन्यु महादेव की कृपा से संसार के समस्त ऐश्वर्यों का स्वामी और संसार में पूजनीय बना.
परिवार दरिद्रता से ग्रसित था. एक दिन उपमन्यु ने माता से पीने के लिए दूध मांगा. माता पुत्र की इच्छा पूरी करने में असमर्थ थीं. बालक की बातें सुनकर माता की हृदय पीड़ा से भर गया.
उन्होंने कुछ चावल पीसे और उसको पानी में घोलकर दूध का रूप दे दिया. वह दूध उपमन्यु को पीने को दिया. दूध पीकर उपमन्यु ने कहा- यह तो नकली दूध है. मुझसे छल कर रही हो. और वह रोने लगा.
उपमन्यु की मां ने कहा- बेटा, हम बनवासी हैं. हमारे पास दूध के लिए कोई प्रबंध भी नहीं. भगवान शिव संसार के सभी दुधारु पशुओं के स्वामी हैं. उनकी कृपा से ही दूध प्राप्त होता है.
माता की बात बालक उपमन्यु के मन में बैठ गई. उसने संसार के सुख प्राप्ति के लिए शिवजी की आराधना का प्रण किया. उपमन्यु ने आठ ईंटों का एक मंदिर बनाकर उसमें मिट्टी का शिवलिंग स्थापित किया.
शिवलिंग स्थापित करने के बाद उपमन्यु ने देवी पार्वती समेत महादेव की आराधना करने लगा. वह पंचाक्षर मंत्र का जप करते थे. उपमन्यु ने दीर्घकाल तक महादेव की तपस्या की.
बालक उपमन्यु के कठोर तप से सारा त्रिभुवन कांपने लगा. देवताओँ ने महादेव से बालक को दर्शन देने की प्रार्थना की. देवों की प्रार्थना पर महादेव उपमन्यु की परीक्षा लेने आए.
महादेव के साथ देवराज इंद्र, उनकी पत्नी शची, नंदीश्वर औऱ बहुत सारे शिवगण भी पधारे. महादेव ने इंद्र का रूप धर लिया और बालक उपमन्यु से वर मांगने को कहा. उपमन्यु ने उनसे शिव की भक्ति मांगी.
सुरेश्वररूपधारी शिव ने महादेव की निंदा शुरू कर दी. यह सुनकर उपमन्यु ने कहा- मुझे आपसे कोई वरदान नहीं चाहिए. सुरेश्वररूपधारी महादेव, शिव निंदा करते रहे. कुपित होकर उपमन्यु ने उन्हें मारने के लिए अघोरास्त्र उठा लिया.
नंदीश्वर ने अघोरास्त्र पकड़ लिया. अघोरास्त्र के विफल होने पर उपमन्यु ने अग्नि का आह्वान किया. भगवान शिव ने तुरंत वह अग्नि शांत कर दी. फिर महादेव वास्तविक रूप में प्रकट हो गए.
महादेव ने कहा- अबसे मैं तुम्हारा पिता और पार्वती तुम्हारी माता हैं. आज से तुम्हें सनातन कुमारत्व प्राप्त होगा. मैं तुम्हें दूध, दही और मधु के सहस्त्रों समुद्र के साथ अमरत्व तथा अपने गणों का अधिपति बनाता हूं.
इसके अतिरिक्त उन्होंने उपमन्यु को पाशुपत ज्ञानयोग, प्रवचन शक्ति तथा योग संबंधी ऐश्वर्य प्रदान कर हृदय से लगा लिया. वरदान पाकर उपमन्यु प्रसन्न होकर घर लौटे.
थोड़े से दूध के लिए बिलखने वाला बालक उपमन्यु महादेव की कृपा से संसार के समस्त ऐश्वर्यों का स्वामी और संसार में पूजनीय बना.
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