सही है या गलत

Think  With Experience                
   1. झूठ बोलना, कठोरता, छल करना, बेवकूफी करना, लालच, अपवित्रता  और निर्दयता ये औरतो के नैसर्गिक दुर्गुण है.
2.भोजन के योग्य पदार्थ और भोजन करने की क्षमता,  सुन्दर स्त्री और उसे भोगने के लिए काम शक्ति, पर्याप्त धनराशी तथा दान देने की भावना - ऐसे संयोगों का होनासामान्य तप का फल नहीं है .
३. उस व्यक्ति ने धरती पर ही स्वर्ग को पा िलया-
१. िजसका पुत्र आग्यांकारी है.
२. िजसकी पत्नी उसकी इच्छा के अनुरूप व्यव्हार करती है.
३. िजसे अपने धन पर संतोष  है.
४. पुत्र वही है जो पिता का कहना मानता है, पिता वही है जो पुत्रों का पालन पोषण करे. मित्र वह है िजस पर आप िवशास कर सकते है और  पत्नी वही है जिससे सुख प्राप्त हो .
५. उनसे बचे जो आपसे मुह पर तो मीठी बाते करते है लेिकन पीठ पीछे आपको बबारद
करने की योजना बनाते है. ऐसा करने वाले तो उस िवष के घड़े के समान है िजसकी
उपरी सतह पर दूध है.
६. एक बुरे मित्र पर तो कभी  विश्वास ना करे. एक अच्छे मित्र पर भी विश्वास ना करे. यदि ऐसे
लोग आप पर गुससा होते है तो आप के सभी राज वो खोल देगे.
७. मन में सोंचे हुए कार्य कोकिसी के सामने प्रकट न करें बल्कि मनन पूर्वक उसकी सुरक्षा करते हुए उसे कार्य में परिणत कर दें.
८. मुर्खता दुखदायी है, जवानी भी दुखदायी है, लेिकन इससे कही ज्यादा दुखदायी िकसी दुसरे के घर जाकर उससे अहसान लेना है.
९. हर पहाड़ पर माणिक्य नहीं होते,  हर हाथी के सर पर मणी नहीं होता,  सज्जन पुरुष भी  हर जगह होते और
हर वन मे चन्दन के वृक्ष भी नहीं होते हैं .
१०. बुद्धिमान पिता  को अपने बचचो को शुभ गुणों की सीख देनी चाहिए क्योंकि नीतिज्ञऔर ज्ञानी व्यक्तियों की ही कुल में पूजा होती है.
११. जो माता व् पिता अपने बच्चों को शिक्षा नहीं देते है वो तो बच्चों के शत्रु केसामान हैं. क्योंकि वे विद्याहीन बालक विद्वानों की सभा में वैसे ही तिरस्कृतकिये जाते हैं जैसे हंसो की सभा मे  बगुले.
१२. लाड-प्यार से बच्चों मे गलत आदते ढलती है. उनहे कड़ी शिक्षा देने से वे अचछी आदते
सीखते है. इसीिलए बचचो को दिणडत करे, जयादा लाड ना करे.
१३. ऐसा एक भी िदन ना जाये जबआपने एक श्लोक , आधा श्लोक, चौथाई श्लोक, या केवल
श्लोक का एक अक्षर नहीं िसखा, या आपने दान, अभ्यास या कोई पवित्र कार्य नहीं किया .
१४. पत्नी का वियोग होना, आपने ही लोगो से बे-इजजत होना, बचा हुआ ऋण, दुष राजा
की सेवा करना, गरीबी एवं दरिद्रों की सभा  - ये छह बाते शारीर  को बिना अग्नि के ही जला देती हैं.
१५.  नदी के िकनारे बसे हुए वृक्ष , दुसरे व्यक्ति के घरमे जाने अथवा  रहने वाली स्त्री एवं बिना मंत्रियों का राजा - ये सब निश्चय ही शीघ्र नस्ट हो जाते हैं.
१६. एक बाहण का बल तेज और विद्या है , एक राजा का बल उसकी सेना मे है, एक
वैशय का बल  उसकी दौलत मे है तथा  एक शुद्र का बल उसकी सेवा परायणता मे है.
१७. वेशया निर्धन व्यक्ति कोछोड़कर चली जाती है. प्रजा पराजित राजा को छोड़कर चली जाती है,  पक्षी फलरहित वृक्ष को छोड़ देते है.एवं  मेहमान भोजन करने के बाद घर से चल पड़ते है.
१८. ब्रह्मण आपने यजमानो को दक्षिणा मलने के बाद छोड़ देते है. विद्यारथी विद्या प्राप्ति के बाद गुरु  को
और पशु जले हुए वन को त्याग देते हैं.
१९. जो व्यक्ति दुराचारी, कुदृष्टि वाले , एवं बुरे स्थान पर रहने वाले  मनुष्य के साथ मित्रता करता है, वह शीघ्र नष्ट हो जाता है.
२०.  प्रेम और मित्रताता बराबर वालों में अच्छी लगती है . राजा के यहाँ नौकरी करनेवाले को इजजत मिलती है.व्यवसायों में वाणिज्य सबसे अच्छा है, अवं उत्तम गुणों वाली स्त्री घर में सुशोभित होती है.

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