प्रहलाद ह्रदयाहलादं भक्ता विधाविदारण।
शरदिन्दु रुचि बन्दे पारिन्द् बदनं हरि ॥१॥
नमस्ते नृसिंहाय प्रहलादाहलाद-दायिने।
हिरन्यकशिपोर्बक्षः शिलाटंक नखालये ॥२॥
इतो नृसिंहो परतोनृसिंहो, यतो-यतो यामिततो नृसिंह।
बर्हिनृसिंहो ह्र्दये नृसिंहो, नृसिंह मादि शरणं प्रपधे ॥३॥
तव करकमलवरे नखम् अद् भुत श्रृग्ङं। दलित हिरण्यकशिपुतनुभृग्ङंम्। केशव धृत नरहरिरुप, जय जगदीश हरे ॥४॥
वागीशायस्य बदने लर्क्ष्मीयस्य च बक्षसि।
यस्यास्ते ह्र्देय संविततं नृसिंहमहं भजे ॥५॥
श्री नृसिंह जय नृसिंह जय जय नृसिंह।
प्रहलादेश जय पदमामुख पदम भृग्ह्र्म ॥६॥
शरदिन्दु रुचि बन्दे पारिन्द् बदनं हरि ॥१॥
नमस्ते नृसिंहाय प्रहलादाहलाद-दायिने।
हिरन्यकशिपोर्बक्षः शिलाटंक नखालये ॥२॥
इतो नृसिंहो परतोनृसिंहो, यतो-यतो यामिततो नृसिंह।
बर्हिनृसिंहो ह्र्दये नृसिंहो, नृसिंह मादि शरणं प्रपधे ॥३॥
तव करकमलवरे नखम् अद् भुत श्रृग्ङं। दलित हिरण्यकशिपुतनुभृग्ङंम्। केशव धृत नरहरिरुप, जय जगदीश हरे ॥४॥
वागीशायस्य बदने लर्क्ष्मीयस्य च बक्षसि।
यस्यास्ते ह्र्देय संविततं नृसिंहमहं भजे ॥५॥
श्री नृसिंह जय नृसिंह जय जय नृसिंह।
प्रहलादेश जय पदमामुख पदम भृग्ह्र्म ॥६॥
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