शनिवार, 27 जनवरी 2018

*एकादशी दो प्रकार की होती है।*

*(1)सम्पूर्णा     (2) विद्धा*

*सम्पूर्णा:-* जिस तिथि में केवल एकादशी तिथि होती है अन्य किसी तिथि का उसमे मिश्रण नही होता उसे सम्पूर्णा एकादशी कहते है।
*विद्धा एकादशी पुनः दो प्रकार की होती है*

*(1) पूर्वविद्धा (2) परविद्धा*

*पूर्वविद्धा:-* दशमी मिश्रित एकादशी को पूर्वविद्धा एकादशी कहते हैं।यदि एकादशी के दिन अरुणोदय काल (सूरज निकलने से 1घंटा 36 मिनट का समय) में यदि दशमी का नाम मात्र अंश भी रह गया तो ऐसी एकादशी पूर्वविद्धा दोष से दोषयुक्त होने के कारण वर्जनीय है यह एकादशी दैत्यों का बल बढ़ाने वाली है।पुण्यों का नाश करने वाली है।
*पद्मपुराण में वर्णित है।*
*" वासरं दशमीविधं दैत्यानां पुष्टिवर्धनम।*
*मदीयं नास्ति सन्देह: सत्यं सत्यं पितामहः।।*
" दशमी मिश्रित एकादशी दैत्यों के बल बढ़ाने वाली है इसमें कोई भी संदेह नही है।"

*परविद्धा:-* द्वादशी मिश्रित एकादशी को परविद्धा एकादशी कहते हैं!
*" द्वादशी मिश्रिता ग्राह्य सर्वत्र एकादशी तिथि:*
"द्वादशी मिश्रित एकादशी सर्वदा ही ग्रहण करने योग्य है।"
इसलिए भक्तों को परविद्धा एकादशी ही रखनी चाहिए।ऐसी एकादशी का पालन करने से भक्ति में वृद्धि होती है।दशमी मिश्रित एकादशी से तो पुण्य क्षीण होते हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

If u have any query let me know.

कुंभ महापर्व

 शास्त्रोंमें कुंभमहापर्व जिस समय और जिन स्थानोंमें कहे गए हैं उनका विवरण निम्नलिखित लेखमें है। इन स्थानों और इन समयोंके अतिरिक्त वृंदावनमें...