परमात्माकी प्राप्तिके लिये ही तो मानवजन्म मिला है,नहीं तो पशुमें और मनुष्यमें क्या फर्क हुआ ?
खादते मोदते नित्यं शुनकः शूकरः खरः ।
तेषामेषां को विशेषो वृत्तिर्येषां तु तादृशी ॥
........ ......... ..........
सूकर कूकर ऊँट खर, बड़ पशुअन में चार ।
तुलसी हरि की भगति बिनु, ऐसे ही नर नार ॥
(स्वामी रामसुखदास जी महाराज)
खादते मोदते नित्यं शुनकः शूकरः खरः ।
तेषामेषां को विशेषो वृत्तिर्येषां तु तादृशी ॥
........ ......... ..........
सूकर कूकर ऊँट खर, बड़ पशुअन में चार ।
तुलसी हरि की भगति बिनु, ऐसे ही नर नार ॥
(स्वामी रामसुखदास जी महाराज)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
If u have any query let me know.