रविवार, 7 जनवरी 2018

भगवान् श्री कृष्ण जी के 51 नाम और उन के अर्थ

भगवान् श्री कृष्ण जी के 51 नाम और उन के अर्थ

1 कृष्ण: सब को अपनी ओर आकर्षित करने वाला.
2 गिरिधर: गिरी: पर्वत ,धर: धारण करने वाला। अर्थात गोवर्धन पर्वत को उठाने वाले।
3 मुरलीधर: मुरली को धारण करने वाले।
4 पीताम्बर धारी: पीत :पिला, अम्बर:वस्त्र। जिस ने पिले वस्त्रों को धारण किया हुआ है।
5 मधुसूदन:मधु नामक दैत्य को मारने वाले।
6 यशोदा या देवकी नंदन: यशोदा और देवकी को खुश करने वाला पुत्र।
7 गोपाल: गौओं का या पृथ्वी का पालन करने वाला।
8 गोविन्द: गौओं का रक्षक।
9 आनंद कंद: आनंद की राशि देंने वाला।
10 कुञ्ज बिहारी: कुंज नामक गली में विहार करने वाला।
11 चक्रधारी: जिस ने सुदर्शन चक्र या ज्ञान चक्र या शक्ति चक्र को धारण किया हुआ है।
12 श्याम: सांवले रंग वाला।
13 माधव: माया के पति।
14 मुरारी: मुर नामक दैत्य के शत्रु।
15 असुरारी: असुरों के शत्रु।
16 बनवारी: वनो में विहार करने वाले।
17 मुकुंद: जिन के पास निधियाँ है।
18 योगीश्वर: योगियों के ईश्वर या मालिक।
19 गोपेश :गोपियों के मालिक।

20 हरि: दुःखों का हरण करने वाले।

21 मदन: सूंदर।
22 मनोहर: मन का हरण करने वाले।

23 मोहन: सम्मोहित करने वाले।

24 जगदीश: जगत के मालिक।

25 पालनहार: सब का पालन पोषण करने वाले।

26 कंसारी: कंस के शत्रु।

27 रुख्मीनि वलभ: रुक्मणी के पति ।

28 केशव: केशी नाम दैत्य को मारने वाले. या पानी के उपर निवास करने वाले या जिन के बाल सुंदर है।

29 वासुदेव:वसुदेव के पुत्र होने के कारन।

30 रणछोर:युद्ध भूमि स भागने वाले।

31 गुड़ाकेश: निद्रा को जितने वाले।

32 हृषिकेश: इन्द्रियों को जितने वाले।

33 सारथी: अर्जुन का रथ चलने के कारण।
35 पूर्ण परब्रह्म: :देवताओ के भी मालिक।

36 देवेश: देवों के भी ईश।

*37 नाग नथिया*: कलियाँ नाग को मारने के कारण।
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*38 वृष्णिपति*: इस कुल में उतपन्न होने के कारण
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*39 यदुपति*:यादवों के मालिक।
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*40 यदुवंशी*: यदु वंश में अवतार धारण करने के कारण।

41 द्वारकाधीश:द्वारका नगरी के मालिक।

42 नागर:सुंदर।
43 छलिया: छल करने वाले।
44 मथुरा गोकुल वासी: इन स्थानों पर निवास करने के कारण।
45 रमण: सदा अपने आनंद में लीन रहने वाले।

46 दामोदर: पेट पर जिन के रस्सी बांध दी गयी थी।

47 अघहारी: पापों का हरण करने वाले।

48 सखा: अर्जुन और सुदामा के साथ मित्रता निभाने के कारण।
49 रास रचिया: रास रचाने के कारण।
50 अच्युत: जिस के धाम से कोई वापिस नही आता है।
51 नन्द लाला: नन्द के पुत्र होने के कारण।

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